रमा एकादशी हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख एकादशी व्रतों में से एक है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और यह व्रत विशेष रूप से पापों से मुक्ति, धन, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। रमा एकादशी का नाम माता लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, जिन्हें ‘रमा’ भी कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

रमा एकादशी का इतिहास

रमा एकादशी का उल्लेख विभिन्न पुराणों में किया गया है, खासकर पद्म पुराण में इसका विस्तार से वर्णन है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की कृपा और धन-संपत्ति की प्राप्ति का दिन माना जाता है। इसके अलावा, इस व्रत का इतिहास भगवान विष्णु से भी जुड़ा हुआ है, जो इस दिन अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

पद्म पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, इस व्रत के पालन से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

रमा एकादशी की कथा

रमा एकादशी की कथा राजा मुचुकुन्द और उनकी बेटी चंद्रभागा से संबंधित है। राजा मुचुकुन्द सत्ययुग में एक धर्मप्रिय राजा थे। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और उनकी बेटी चंद्रभागा भी उनके जैसे धर्मपरायण थी। राजा की बेटी का विवाह एक देवता के साथ हुआ था, और उसकी भक्ति के कारण वह भगवान विष्णु की कृपा से अमरत्व प्राप्त कर चुकी थी।

एक बार राजा मुचुकुन्द के राज्य में एक याचक आया, जो भगवान विष्णु का व्रत करना चाहता था। राजा ने उसे यह व्रत करने का मार्गदर्शन दिया और उसे रमा एकादशी का महत्व बताया। याचक ने व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

रमा एकादशी का महत्व

रमा एकादशी का धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में विशेष महत्व है। इसका पालन करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • पापों से मुक्ति: यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। व्यक्ति की पिछले जन्मों की बुराईयाँ भी इस व्रत के प्रभाव से नष्ट हो जाती हैं।

  • मोक्ष की प्राप्ति: जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से रमा एकादशी का व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है और वह विष्णु धाम में स्थान पाता है।

  • धन और समृद्धि: देवी लक्ष्मी, जिन्हें ‘रमा’ कहा जाता है, इस दिन की पूजा से प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

  • जीवन में शांति और सुख: इस व्रत के पालन से जीवन में शांति, संतोष और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।

  • संतान प्राप्ति: जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही होती है, उन्हें यह व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

रमा एकादशी के अनुष्ठान

व्रत और उपवास

  • रमा एकादशी के दिन उपवास रखना अनिवार्य होता है। व्रती को एक दिन पहले दशमी तिथि की रात को ही सात्विक भोजन लेना चाहिए और व्रत की रात को जागरण करना चाहिए।

  • उपवास के दौरान व्यक्ति को फलाहार या जल का सेवन कर सकता है, लेकिन भोजन और अन्न का सेवन निषिद्ध है।

  • उपवास के दौरान ध्यान और भजन-कीर्तन करना चाहिए, जिससे मन शांत और सकारात्मक बना रहे।

भगवान विष्णु की पूजा

  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। विष्णु भगवान के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें।

  • पूजा के दौरान तुलसी की पत्तियाँ, फल-फूल, चंदन और धूप का उपयोग करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि यह उनका प्रिय रंग है।

  • विष्णु सहस्रनाम और विष्णु स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मंत्र जाप

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय: यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसका जप रमा एकादशी के दिन करने से अत्यंत लाभकारी होता है।

  • ॐ लक्ष्मीनारायणाय नमः: देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

दान और सेवा

  • इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें।

  • रमा एकादशी के दिन किया गया दान दस गुना फल देता है। खासकर तुलसी का पौधा, गाय, और अन्न दान करना अति पुण्यकारी माना जाता है।

पारण

  • एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। पारण का समय विशेष रूप से तय किया जाता है, और इसी समय व्रत खोलना शुभ माना जाता है।

  • व्रती को पूजा और भगवान विष्णु की आरती करने के बाद व्रत खोलना चाहिए।

रमा एकादशी के मंत्र

रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जप अत्यंत शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

भगवान विष्णु के लिए मंत्र:

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

"ॐ विष्णवे नमः"

“ॐ नारायणाय नमः”

“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।”

देवी लक्ष्मी के लिए मंत्र:

"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"

"ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः"

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र:

विष्णु सहस्रनाम का पाठ इंदिरा एकादशी के दिन अत्यंत फलदायक माना जाता है। यह 1000 नामों वाला स्तोत्र भगवान विष्णु के गुणों का बखान करता है और इसे पढ़ने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान होता है।

गायत्री मंत्र:

"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।"

गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन में सफलताएँ प्राप्त

रमा एकादशी का विशेष मंत्र:

"ॐ रमा एकादशीय नमः"

इन मंत्रों का जप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

एकादशी का महत्व: पुराणों में वर्णन

(क) पद्म पुराण में एकादशी

पद्म पुराण में एकादशी व्रत का विशेष उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एकादशी तिथि को स्वयं प्रकट किया था। उन्होंने कहा था कि इस दिन उपवास करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत करने से सभी यज्ञों, दानों, और तपों के समान फल प्राप्त होता है। साथ ही, इस तिथि पर भगवान विष्णु का स्मरण करने से व्यक्ति को उनके धाम में स्थान प्राप्त होता है।

(ख) ब्रह्मवैवर्त पुराण में एकादशी

ब्रह्मवैवर्त पुराण में एकादशी को भगवान विष्णु की शक्ति और माया का प्रतीक बताया गया है। इसमें उल्लेख है कि एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो लोग नियमित रूप से एकादशी का पालन करते हैं, वे अपने समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं।

(ग) स्कंद पुराण में एकादशी

स्कंद पुराण में एकादशी के व्रत को मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। इसमें लिखा है कि एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं और पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ एकादशी का व्रत करता है, वह जीवन के सभी कष्टों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

श्रीमद्भागवत में एकादशी का महत्व

श्रीमद्भागवत महापुराण में भी एकादशी का विशेष वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि एकादशी व्रत करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। श्रीमद्भागवत में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि एकादशी का व्रत मेरे प्रिय है और इसे करने से भक्त मेरी विशेष कृपा के पात्र बनते हैं।

भागवत पुराण में एकादशी को मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन माना गया है। एकादशी व्रत को लेकर कई कथाएँ भी भागवत पुराण में मिलती हैं। इनमें से एक कथा राजा अम्बरीष की है, जिन्होंने एकादशी का व्रत किया था और उनकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु स्वयं उनकी रक्षा के लिए प्रकट हुए थे।

महाभारत में एकादशी का उल्लेख

महाभारत के अनुशासन पर्व में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व बताया था और कहा था कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीष्म पितामह ने यह भी कहा था कि जो व्यक्ति एकादशी के दिन अन्न का त्याग करता है, वह अपने जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होता है।

महाभारत में एकादशी को विशेष रूप से ध्यान, भक्ति, और शुद्धता के दिन के रूप में वर्णित किया गया है। इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की आराधना करना अत्यधिक फलदायक माना गया है।

गरुड़ पुराण में एकादशी का महत्व

गरुड़ पुराण में भी एकादशी व्रत का विस्तृत वर्णन है। इसमें कहा गया है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसे यमलोक नहीं जाना पड़ता है, बल्कि उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है, उसके पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वे अपने पापों से मुक्त होते हैं।

गरुड़ पुराण में यह भी उल्लेख है कि एकादशी के दिन ध्यान, भक्ति और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए। इस दिन अन्न का त्याग करके केवल फल और जल का सेवन करना उचित होता है।

विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में एकादशी के प्रकार

धार्मिक ग्रंथों में एकादशी के कई प्रकार बताए गए हैं। हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी आती है, जो विभिन्न नामों से जानी जाती हैं। प्रमुख एकादशियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. निर्जला एकादशी: यह सबसे कठिन और विशेष व्रत माना जाता है। इसमें जल का भी सेवन नहीं किया जाता।

  2. देवशयनी एकादशी: इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में जाते हैं।

  3. वैशाखी एकादशी: यह एकादशी वैशाख माह में आती है और विशेष रूप से पुण्यदायी मानी जाती है।

  4. कामदा एकादशी: यह कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाने वाली एकादशी मानी जाती

रमा एकादशी से जुड़े प्रमुख मंदिर

भारत में कई प्रमुख मंदिर हैं, जहाँ रमा एकादशी के दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर हैं:

  • विष्णु मंदिर, तिरुपति: तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ हर एकादशी विशेष पूजा होती है।

  • जगन्नाथ मंदिर, पुरी: इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ की पूजा होती है, और रमा एकादशी के दिन यहाँ विशेष पूजा होती है।

  • बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड: बद्रीनाथ भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है, और यहाँ रमा एकादशी के दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

  • विट्ठल मंदिर, पंढरपुर: महाराष्ट्र का यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार विट्ठल को समर्पित है, और यहाँ एकादशी के दिन हजारों भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं।

रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ उपाय है। इस दिन उपवास, पूजा, और मंत्र जप करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे धन, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया रमा एकादशी व्रत जीवन में सुख-शांति, संतोष, और सफलता लाता है।

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