मोक्षदा एकादशी का महत्व और कथा

मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। यह एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष को आती है। इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं और पितरों को भी मुक्ति मिलती है।

गीता जयंती का महत्व
गीता जयंती का पर्व भगवद्गीता के दिव्य संदेश को याद करने और आत्मसात करने का दिन है। यह दिन मोक्षदा एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि में अर्जुन को दिए गए श्रीकृष्ण के उपदेश न केवल उनके लिए बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं। गीता के 18 अध्यायों में जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के मार्ग बताए गए हैं।

गीता का प्रमुख संदेश

गीता के श्लोक  

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

अर्थ: मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन बिना फल की इच्छा के करना चाहिए।

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

अर्थ: क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, जिससे स्मृति नष्ट हो जाती है, और अंततः मनुष्य का पतन हो जाता है।

गीता जयंती पर पूजा विधि

1. श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ गीता जयंती के दिन गीता के श्लोकों का पाठ करना शुभ माना जाता है। पाठ करने से पहले गीता की पुस्तक की पूजा करें। इसे फूल, चावल, और दीपक के साथ श्रद्धा पूर्वक सजाएं।

2. दान का महत्व इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन दान करना चाहिए। गीता की पुस्तक का दान भी अत्यंत पुण्यदायक होता है।

3. भगवान श्रीकृष्ण की आराधना भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करें और गीता में दिए गए उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा

एक समय की बात है, गोकुल नगरी में राजा वैखानस राज्य करते थे। वह बहुत धर्मात्मा और प्रजा के प्रति कर्तव्यनिष्ठ थे। एक रात राजा को स्वप्न में उनके पिता दिखाई दिए, जो नरक में कष्ट भोग रहे थे। यह देखकर राजा बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपने गुरुओं और विद्वानों से इसका समाधान पूछा।

विद्वानों ने राजा से कहा, “आप मोक्षदा एकादशी का व्रत रखें और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। इस व्रत के प्रभाव से आपके पिता को मोक्ष प्राप्त होगा।”

राजा ने विधिपूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की आराधना की। उनकी श्रद्धा और व्रत के प्रभाव से उनके पिता को नरक से मुक्ति मिली और स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

मोक्षदा एकादशी के लाभ

  • इस व्रत से पितरों को मोक्ष मिलता है।

  • जीवन के पाप समाप्त होते हैं।

  • आत्मा को शांति और सुकून प्राप्त होता है।

  • जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

    व्रत विधि

    एकादशी व्रत करने के लिए भक्तों को निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

    1. व्रत की तैयारी:
      व्रत से एक दिन पहले (दशमी तिथि) सात्विक भोजन ग्रहण करें और व्रत के नियमों का पालन करने का संकल्प लें।

    2. स्नान और संकल्प:
      एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत प्रारंभ करें।

    3. पूजा विधि:

      • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।

      • भगवान को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (फल, मिठाई आदि) अर्पित करें।

      • भगवान विष्णु के मंत्रों और भजन का जाप करें।

      • विष्णु सहस्रनाम, भगवद्गीता का पाठ या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

    4. उपवास:

      • पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करें। अगर स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो, तो फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं।

      • मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।

    5. रात्रि जागरण:

      • रात को भगवान विष्णु की कथा, कीर्तन और भजन गाकर जागरण करें।

    6. द्वादशी का पारण:

      • अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें।

      • पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

    एकादशी के लाभ

    1. पापों का नाश: इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं।

    2. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।

    3. धर्म और पुण्य: व्रत के माध्यम से धर्म और पुण्य की वृद्धि होती है।

    4. शारीरिक और मानसिक शांति: व्रत करने से मन शांत और आत्मा पवित्र होती है।

    5. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

    एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जप अत्यंत शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

    भगवान विष्णु के लिए मंत्र:

    "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

    "ॐ विष्णवे नमः"

    “ॐ नारायणाय नमः”

    “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।”

    देवी लक्ष्मी के लिए मंत्र:

    "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"

    "ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः"

    विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र:

    विष्णु सहस्रनाम का पाठ एकादशी के दिन अत्यंत फलदायक माना जाता है। यह 1000 नामों वाला स्तोत्र भगवान विष्णु के गुणों का बखान करता है और इसे पढ़ने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान होता है।

    गायत्री मंत्र:

    "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।"

    गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन में सफलताएँ प्राप्त

    इन मंत्रों का जप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

    एकादशी का महत्व: पुराणों में वर्णन

    (क) पद्म पुराण में एकादशी

    पद्म पुराण में एकादशी व्रत का विशेष उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एकादशी तिथि को स्वयं प्रकट किया था। उन्होंने कहा था कि इस दिन उपवास करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

    पद्म पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत करने से सभी यज्ञों, दानों, और तपों के समान फल प्राप्त होता है। साथ ही, इस तिथि पर भगवान विष्णु का स्मरण करने से व्यक्ति को उनके धाम में स्थान प्राप्त होता है।

    (ख) ब्रह्मवैवर्त पुराण में एकादशी

    ब्रह्मवैवर्त पुराण में एकादशी को भगवान विष्णु की शक्ति और माया का प्रतीक बताया गया है। इसमें उल्लेख है कि एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो लोग नियमित रूप से एकादशी का पालन करते हैं, वे अपने समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं।

    (ग) स्कंद पुराण में एकादशी

    स्कंद पुराण में एकादशी के व्रत को मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। इसमें लिखा है कि एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं और पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ एकादशी का व्रत करता है, वह जीवन के सभी कष्टों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

    श्रीमद्भागवत में एकादशी का महत्व

    श्रीमद्भागवत महापुराण में भी एकादशी का विशेष वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि एकादशी व्रत करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। श्रीमद्भागवत में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि एकादशी का व्रत मेरे प्रिय है और इसे करने से भक्त मेरी विशेष कृपा के पात्र बनते हैं।

    भागवत पुराण में एकादशी को मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन माना गया है। एकादशी व्रत को लेकर कई कथाएँ भी भागवत पुराण में मिलती हैं। इनमें से एक कथा राजा अम्बरीष की है, जिन्होंने एकादशी का व्रत किया था और उनकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु स्वयं उनकी रक्षा के लिए प्रकट हुए थे।

    महाभारत में एकादशी का उल्लेख

    महाभारत के अनुशासन पर्व में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व बताया था और कहा था कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीष्म पितामह ने यह भी कहा था कि जो व्यक्ति एकादशी के दिन अन्न का त्याग करता है, वह अपने जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होता है।

    महाभारत में एकादशी को विशेष रूप से ध्यान, भक्ति, और शुद्धता के दिन के रूप में वर्णित किया गया है। इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की आराधना करना अत्यधिक फलदायक माना गया है।

    गरुड़ पुराण में एकादशी का महत्व

    गरुड़ पुराण में भी एकादशी व्रत का विस्तृत वर्णन है। इसमें कहा गया है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसे यमलोक नहीं जाना पड़ता है, बल्कि उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत करता है, उसके पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वे अपने पापों से मुक्त होते हैं।

    गरुड़ पुराण में यह भी उल्लेख है कि एकादशी के दिन ध्यान, भक्ति और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए। इस दिन अन्न का त्याग करके केवल फल और जल का सेवन करना उचित होता है।

    विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में एकादशी के प्रकार

    धार्मिक ग्रंथों में एकादशी के कई प्रकार बताए गए हैं। हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी आती है, जो विभिन्न नामों से जानी जाती हैं। प्रमुख एकादशियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

    1. निर्जला एकादशी: यह सबसे कठिन और विशेष व्रत माना जाता है। इसमें जल का भी सेवन नहीं किया जाता।

    2. देवशयनी एकादशी: इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में जाते हैं।

    3. वैशाखी एकादशी: यह एकादशी वैशाख माह में आती है और विशेष रूप से पुण्यदायी मानी जाती है।

    4. कामदा एकादशी: यह कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाने वाली एकादशी मानी जाती

      एकादशी से जुड़े प्रमुख मंदिर

    भारत में कई प्रमुख मंदिर हैं, जहाँ एकादशी के दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर हैं:

    • विष्णु मंदिर, तिरुपति: तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ हर एकादशी विशेष पूजा होती है।

    • जगन्नाथ मंदिर, पुरी: इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ की पूजा होती है, और रमा एकादशी के दिन यहाँ विशेष पूजा होती है।

    • बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड: बद्रीनाथ भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है, और यहाँ  एकादशी के दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

    • विट्ठल मंदिर, पंढरपुर: महाराष्ट्र का यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार विट्ठल को समर्पित है, और यहाँ एकादशी के दिन हजारों भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं।

    ध्यान देने योग्य बातें

    1. व्रत के दौरान क्रोध, असत्य और अहंकार से बचें।

    2. सात्विक आहार ग्रहण करें और संयमित जीवनशैली अपनाएं।

    3. भगवान विष्णु की पूजा और ध्यान में समय बिताएं।

    4. जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें।

    एकादशी का आध्यात्मिक महत्व

    एकादशी न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह व्रत आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर के करीब लाने का एक साधन है। भगवान विष्णु की भक्ति से व्यक्ति के मन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है। इस दिन का व्रत जीवन में धार्मिकता और सच्चाई को बढ़ावा देता है।

    एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक संतोष प्राप्त होता है। यह व्रत न केवल इस जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि अगले जन्म में भी आत्मा के उद्धार का मार्ग प्रशस्त करता है।

मोक्षदा एकादशी से जुड़े 10 सामान्य प्रश्न

1. मोक्षदा एकादशी कब मनाई जाती है?
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

2. मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है?
इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है।

3. व्रत के लिए क्या नियम हैं?
व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहना चाहिए।

4. क्या मोक्षदा एकादशी पर उपवास रखना अनिवार्य है?
यह व्रत वैकल्पिक है, लेकिन इसे करने से अद्भुत फल प्राप्त होते हैं।

5. क्या इस दिन अन्न ग्रहण किया जा सकता है?
नहीं, व्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित है। केवल फलाहार या दूध का सेवन किया जा सकता है।

6. मोक्षदा एकादशी का पारण कब करना चाहिए?
द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

7. क्या इस व्रत से पितरों को लाभ होता है?
हां, इस व्रत के प्रभाव से पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है।

8. क्या मोक्षदा एकादशी का व्रत बच्चों और बुजुर्गों के लिए संभव है?
जो लोग स्वास्थ्य कारणों से पूर्ण उपवास नहीं रख सकते, वे फलाहार कर सकते हैं।

9. क्या मोक्षदा एकादशी पर भगवद्गीता पढ़नी चाहिए?
हां, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

10. इस दिन दान का क्या महत्व है?
दान-पुण्य इस दिन का मुख्य हिस्सा है। गरीबों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।

Contact Us

Email: adityagupta200@gmail.com  

Phone: 9731764134

Support Us(Paytm, PhonePe, Gpay) - 9731764134

Bhagwatiganj, Balrampur - 271201

Sector 11, Noida - 201301

© 2025 Amatya

Instagram icon
LinkedIn icon
Intuit Mailchimp logo