महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह भारत और दुनिया भर में जैन समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है।
महावीर जयंती भगवान महावीर स्वामी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व (या कुछ मान्यताओं के अनुसार 540 ईसा पूर्व) चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था। उनका जन्म बिहार के कुंडग्राम में हुआ था, जो वर्तमान में वैशाली जिले के पास स्थित है।
भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अचौर्य जैसे पांच प्रमुख सिद्धांतों का प्रचार किया। उनकी शिक्षाएँ आज भी मानवता के लिए प्रासंगिक हैं। महावीर जयंती पर, उनके जीवन और संदेशों को याद किया जाता है और पालन करने का प्रयास किया जाता है।
पूजा और अर्चना: भगवान महावीर की मूर्ति को स्नान कराया जाता है और भव्य रूप से सजाया जाता है।
रथ यात्रा: कुछ स्थानों पर उनकी प्रतिमा को सजाकर एक जुलूस निकाला जाता है जिसे रथ यात्रा कहते हैं।
पाठ और प्रवचन: महावीर स्वामी के उपदेशों और शिक्षाओं को याद करते हुए सामूहिक प्रवचन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
दान धर्म: इस दिन जैन अनुयायी गरीबों और जरूरतमंदों को दान देते हैं।
भगवान महावीर का वास्तविक नाम वर्धमान था। उन्हें गहन तपस्या और साधना के बाद केवलज्ञान (सर्वज्ञान) की प्राप्ति हुई। उन्होंने जैन धर्म को व्यवस्थित किया और मानवता को नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की राह दिखाई।
भारत में महावीर जयंती विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हर्षोल्लास से मनाई जाती है। विदेशों में, जहां भी जैन समुदाय मौजूद है, वहां यह पर्व भक्ति और आस्था के साथ मनाया जाता है। जैसे सिंगापुर, यूके, यूएसए और कनाडा में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
भगवान महावीर के आदर्श केवल जैन समुदाय तक सीमित नहीं हैं; उनकी शिक्षाएँ सार्वभौमिक हैं और सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज में शांति और सद्भावना बनाए रखने में सहायक हैं।
इस खास मौके पर जानें भगवान महावीर के अनमोल वचन.
असली शत्रु व्यक्ति के भीतर ही होता है और वह शत्रु है व्यक्ति का क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत. इसलिए लाखों शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने से बेहतर है कि आप खुद पर विजय प्राप्त करें.
महावीर जी का मानना था कि अगर कोई व्यक्ति सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करता है, तो वह देवत्व को प्राप्त कर सकता है.
हर जीव स्वतंत्र होता है. वह किसी अन्य पर निर्भर नहीं करता.
आत्मा की सबसे बड़ी भूल यही होती है कि वह अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान नहीं पाती. यह ज्ञान केवल आत्मबोध से ही संभव है.
सच्ची अहिंसा वही है जिसमें शांति और आत्मसंयम का समावेश हो.
महावीर जी ने अपने विचारों दारा सभी को आकर्षित किया, चाहे वह अमीर हो या गरीब, राजा हो या आम आदमी, पुरुष हो या फिर महिला. भगवान महावीर जी ने 'जियो और जीने दो' का संदेश दिया है.
महावीर जी कहते हैं कि किसी आत्मा की सबसे बड़ी उसके द्वारा अपने असल रूप को न पहचानना होता है. इस गलती को केवल आत्म ज्ञान की प्राप्ति से ही ठीक किया जा सकता है.
हर जीवित प्राणी के प्रति दया का भाव रखना ही अहिंसा है. घृणा का भाव रखने से मनुष्य का विनाश के अलावा कुछ नहीं मिलता.
आत्मा इस संसार में अकेली ही आती है और अकेली चली जाती है.
करुणा और दया ही हमें सच्चे मानव बनाती है. वहीं इसके विपरीत घृणा न केवल स्वयं को दुख देती है, बल्कि दूसरों को भी कष्ट पहुंचाती है.
भगवान महावीर से जुड़े 10 प्रमुख जैन मंदिरों की सूची दी गई है:
श्री महावीरजी मंदिर (राजस्थान) - करौली जिले में स्थित, यह मंदिर भगवान महावीर को समर्पित है और यहाँ बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
पावापुरी जैन मंदिर (बिहार) - यह भगवान महावीर का निर्वाण स्थल है और इसका "जल मंदिर" अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है।
रणकपुर जैन मंदिर (राजस्थान) - उदयपुर के पास स्थित इस मंदिर में भगवान महावीर की भव्य प्रतिमा और सुंदर नक्काशी है।
दिलवाड़ा मंदिर (माउंट आबू, राजस्थान) - संगमरमर से बने इस मंदिर में नक्काशी की कला अद्वितीय है।
श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) - यह बाहुबली की विशाल प्रतिमा के साथ भगवान महावीर की परंपराओं को प्रदर्शित करता है।
गौतमबुद्ध जैन मंदिर (बिहार) - भगवान महावीर के प्रभाव क्षेत्र में स्थित यह मंदिर उनकी शिक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है।
पार्श्वनाथ मंदिर (कोलकाता, पश्चिम बंगाल) - यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ और महावीर की परंपरा को दर्शाता है।
हनुमंते जैन मंदिर (मध्य प्रदेश) - यह मंदिर ऐतिहासिक रूप से भगवान महावीर से संबंधित है।
उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ (ओडिशा) - भगवान महावीर से जुड़े ये स्थल जैन धर्म की प्राचीनता को दर्शाते हैं।
पालिताना जैन मंदिर (गुजरात) - शत्रुंजय पहाड़ी पर बने ये मंदिर भगवान महावीर समेत अन्य तीर्थंकरों को समर्पित हैं।
ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय वास्तुकला और संस्कृति को भी दर्शाते हैं। यदि आपने इनमें से किसी मंदिर का दौरा किया है, तो यह आपके अनुभव को अनमोल बना सकता है।
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