काली जयंती:
काली जयंती हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी काली की पूजा और उनकी महिमा का स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है, जिसे दीपावली के अगले दिन के रूप में भी जाना जाता है। काली जयंती को काली पूजा के नाम से भी जाना जाता है, और यह विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और बिहार में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। देवी काली को शक्ति, विनाश और पुनर्जन्म की देवी माना जाता है।
1. काली जयंती का इतिहास
1.1 देवी काली का उद्भव:काली जयंती का इतिहास देवी काली के उद्भव से जुड़ा हुआ है। हिंदू पुराणों के अनुसार, देवी काली का जन्म भगवान शिव और देवी पार्वती की शक्ति से हुआ था। यह माना जाता है कि जब देवता राक्षसों से पराजित हो रहे थे, तो देवी दुर्गा ने अपने माथे से देवी काली को प्रकट किया। देवी काली ने राक्षसों का संहार किया और धरती को उनके अत्याचार से मुक्त किया। देवी काली का रूप उग्र और विनाशकारी है, जो अधर्म का नाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है।
1.2 कालरात्रि और महिषासुर मर्दिनी:देवी काली का उल्लेख विभिन्न पौराणिक कथाओं में मिलता है। महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी उन्हें पूजा जाता है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था। देवी काली का संबंध कालरात्रि से भी है, जो नवदुर्गा के नौ रूपों में से एक है। कालरात्रि का अर्थ है "काल की रात्रि," जो कि मृत्यु और विनाश की देवी का प्रतीक है।
2. काली जयंती का महत्व
2.1 शक्ति की पूजा:काली जयंती देवी काली की शक्ति और उनकी विनाशकारी और संरक्षक शक्ति का स्मरण करने का पर्व है। यह पर्व अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। देवी काली की पूजा करने से भक्तों को अज्ञानता, भय, और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
2.2 राक्षसों का नाश:काली जयंती का महत्व देवी काली द्वारा राक्षसों के विनाश में भी है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जब भी अधर्म और बुराई की शक्ति बढ़ती है, तो देवी काली जैसे दिव्य शक्ति का प्रकट होना आवश्यक होता है। यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है।
2.3 भक्तों की सुरक्षा:देवी काली को उनकी भयंकर और रौद्र रूप के बावजूद, उनके भक्तों की रक्षक और संरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। काली जयंती का महत्व इस बात में भी है कि यह पर्व भक्तों को उनकी आंतरिक शक्ति और साहस की याद दिलाता है।
3. काली जयंती के अनुष्ठान
3.1 काली पूजा:काली जयंती के दिन देवी काली की विशेष पूजा की जाती है। भक्तगण सुबह से ही व्रत रखते हैं और देवी की मूर्ति के सामने दीप, धूप, फूल, और नैवेद्य अर्पित करते हैं। पूजा के दौरान देवी के विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
3.2 तांत्रिक पूजा:काली पूजा का तांत्रिक विधि से विशेष महत्व है। तांत्रिक साधक देवी काली की उपासना तांत्रिक अनुष्ठानों के माध्यम से करते हैं। इस पूजा में तंत्र मंत्र का प्रयोग किया जाता है और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
3.3 रक्तचंदन और मदिरा अर्पण:काली पूजा में रक्तचंदन, मदिरा, और बलि का विशेष महत्व है। हालांकि, यह अनुष्ठान केवल कुछ क्षेत्रों और तांत्रिक पूजा में ही किए जाते हैं। सामान्य पूजा में यह अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। यह देवी काली के उग्र रूप की पूजा का प्रतीक है।
3.4 रात्रि जागरण:काली जयंती की रात को देवी काली की पूजा करने के बाद भक्तगण पूरी रात जागरण करते हैं। इस दौरान भजन, कीर्तन, और देवी महात्म्य का पाठ किया जाता है। जागरण का उद्देश्य देवी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करना है।
4. भारत और विदेशों में काली मंदिर
4.1 भारत में काली मंदिर:
कालीघाट मंदिर, कोलकाता:
कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर भारत के सबसे प्रमुख काली मंदिरों में से एक है। यह मंदिर देवी काली के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और यहां काली जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता:
दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी कोलकाता में स्थित है और यह मंदिर भी काली जयंती के प्रमुख केंद्रों में से एक है। यहां भक्तगण देवी काली की पूजा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
कमाख्या मंदिर, गुवाहाटी:
असम के गुवाहाटी में स्थित यह मंदिर देवी काली के शक्ति पीठों में से एक है। यहां देवी की पूजा विशेष तांत्रिक विधियों से की जाती है।
महाकाली मंदिर, उज्जैन:
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाली मंदिर भी काली जयंती के अवसर पर विशेष पूजा का केंद्र होता है। यहां देवी महाकाली को उनकी उग्र और विनाशकारी रूप में पूजा जाता है।
तारापीठ मंदिर, बिर्भुम:
पश्चिम बंगाल के बिर्भुम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर भी एक प्रमुख काली मंदिर है। यहां देवी तारा के रूप में काली की पूजा की जाती है और यहां तांत्रिक साधना का भी विशेष महत्व है।
4.2 विदेशों में काली मंदिर:
श्री काली मंदिर, मलेशिया:
कुआलालंपुर, मलेशिया में स्थित श्री काली मंदिर दक्षिण पूर्व एशिया का एक प्रमुख काली मंदिर है। यहां काली जयंती को भक्तगण बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
श्री श्री काली माता मंदिर, गाइआना:
गाइआना के बर्थिस में स्थित यह मंदिर भी काली माता के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां भारतीय समुदाय काली जयंती पर विशेष पूजा का आयोजन करता है।
काली मंदिर, बर्लिन, जर्मनी:
बर्लिन, जर्मनी में स्थित काली मंदिर यूरोप का एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। यहां काली जयंती के अवसर पर तांत्रिक पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
श्री काली मंदिर, फिजी:
फिजी में स्थित यह काली मंदिर दक्षिण प्रशांत क्षेत्र का एक प्रमुख काली मंदिर है। यहां काली जयंती पर विशेष पूजन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्री काली माता मंदिर, ट्रिनिदाद और टोबैगो:
यह मंदिर ट्रिनिदाद और टोबैगो के हिंदू समुदाय का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां काली जयंती पर विशेष तांत्रिक पूजा का आयोजन किया जाता है।
5. काली जयंती पर प्रार्थना और मंत्र
5.1 काली मंत्र:
ॐ क्रीं कालिकायै नमः।
Om Krim Kalikayai Namah।
अर्थ: "मैं देवी काली को नमन करता हूँ।"
5.2 काली गायत्री मंत्र:
ॐ महा काल्यै च विद्महे,स्मशनवासिन्यै च धीमहि।तन्नो काली प्रचोदयात्॥
Om Maha Kalyai Cha Vidmahe,Smashanavasinyai Cha Dhimahi।Tanno Kali Prachodayat॥
अर्थ: "हम महाकाली का ध्यान करते हैं, जो श्मशान में निवास करती हैं। वह देवी हमें सही मार्ग पर प्रेरित करें।"
5.3 काली कवच मंत्र:
ॐ ह्रीं ह्रूं क्लीं कालीका देवि, शत्रूं संहारि स्वाहा॥
Om Hrim Hrum Klim Kalika Devi, Shatrum Sanhari Swaha॥
अर्थ: "हे काली देवी, हमें शत्रुओं से बचाओ और हमारी रक्षा करो।"
5.4 महाकाली अष्टक मंत्र:
ॐ जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
Om Jayanti Mangala Kali, Bhadrakali Kapalini।Durga Kshama Shiva Dhatri, Swaha Swadha Namo’stu Te॥
अर्थ: "जय, मंगलमयी काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा और धात्री। आपको नमस्कार है।"
5.5 तंत्रिक मंत्र:
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ॐ ह्रीं ह्रूं ह्रूं क्रीं क्रीं क्रीं कालिकायै नमः॥
Om Hrim Hrum Hrum Krim Krim Krim Kalikayai Namah॥
अर्थ: "मैं काली माता को नमन करता हूँ।"
5.6 माँ दुर्गा मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ॐ दुं दुर्गायै नमः
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।
काली काली महाकाली, कालिके परमेश्वरी । सर्वानन्द करे देवि, नारायणि नमोऽस्तुते
ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः
ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम |
लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम ||
मां दुर्गा के मंत्रों (Maa Durga Mantra) को करने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित कर लें कि मंत्रों का उच्चारण गलत नहीं होना चाहिए। न ही उन्हें करने का उद्देश्य गलत होना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके ऊपर मंत्रों का प्रभाव विपरीत भी पड़ सकता है।
यदि आप मंत्रों को सच्ची श्रद्धा और सही उच्चारण के साथ करते हैं तो विश्व में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे आप प्राप्त न कर सकें।
काली जयंती देवी काली की पूजा और उनकी शक्ति का स्मरण करने का पर्व है। इस दिन भक्तगण देवी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा, अनुष्ठान, और मंत्र जाप करते हैं। काली जयंती हमें यह याद दिलाती है कि बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानना और उसका उपयोग करना चाहिए। देवी काली के प्रति श्रद्धा और भक्ति हमें जीवन में साहस, आत्मविश्वास, और संकल्प की प्रेरणा देती है।
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