महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। यहाँ पर महाकुंभ के दौरान महत्वपूर्ण तिथियां और प्रमुख घाटों का विवरण दिया गया है:

महाकुंभ 2025 स्नान की तिथियां

  • महाकुंभ प्रथम स्नान तिथि : पौष शुक्ल एकादशी 10 जनवरी 2025 शुक्रवार

  • महाकुंभ द्वितीया स्नान तिथि : पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 सोमवार

  • महाकुंभ चतुर्थ स्नान तिथि : माघ कृष्ण एकादशी 25 जनवरी, 2025, शनिवार ।

  • महाकुंभ पंचम स्नान तिथि : माघ कृष्ण त्रयोदशी 27 जनवरी, 2025 , सोमवार।

  • महाकुंभ अष्टम स्नान तिथि : माघ शुक्ल सप्तमी (रथ सप्तमी)-4 फरवरी, 2025 ई., मंगलवार ।

  • महाकुंभ नवम स्नान तिथि : माघ शुक्ल अष्टमी (भीष्माष्टमी) -5 फरवरी, 2025 ई., बुधवार।

  • महाकुंभ दशम स्नान तिथि : माघ शुक्ल एकादशी (जया एकादशी) -8 फरवरी, 2025 ई., शनिवार।

  • महाकुंभ एकादश स्नान तिथि : माघ शुक्ल त्रयोदशी (सोम प्रदोष व्रत) - 10 फरवरी, 2025, सोमवार ।

  • महाकुंभ द्वादश स्नान तिथि : माघ पूर्णिमा, 12 फरवरी, 2025, बुधवार।

  • महाकुंभ त्रयोदश स्नान तिथि : फाल्गुन कृष्ण एकादशी, 24 फरवरी, 2025, सोमवार।

  • महाकुंभ चतुर्दश स्नान पर्व : महाशिवरात्रि, 26 फरवरी, 2025, बुधवार।

  • मकर संक्रांति: यह कुंभ मेले की शुरुआत का दिन होता है। यह आमतौर पर जनवरी मध्य में होता है।

  • पौष पूर्णिमा: यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • मौनी अमावस्या: यह कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र दिन होता है, जब लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

  • बसंत पंचमी: इस दिन भी पवित्र स्नान का महत्व है और इसे शुभ माना जाता है।

  • माघ पूर्णिमा: यह दिन भी धार्मिक स्नान और अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण होता है।

  • महाशिवरात्रि: भगवान शिव की पूजा और पवित्र स्नान का दिन।

  • होली: इस दिन भी पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

  • राम नवमी: भगवान राम के जन्मदिवस का दिन, जब विशेष पूजा और स्नान होता है।

  • बिजय दशमी: कुंभ मेले का अंतिम दिन जब पवित्र नदी अपनी मूल स्थिति में लौट आती है।

ध्यान दें : महाकुंभ के आसपास जो भी प्रमुख पर्व तिथियां होती हैं उन्हें प्रमुख स्नान की तिथियां माना जाता है। इसलिए 10 जनवरी एकादशी तिथि को प्रमुख स्नान की तिथि माना गया है।
महाकुंभ शाही स्नान 2025

  • महाकुंभ शाही स्नान तिथि : माघ कृष्ण प्रतिपदा मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025, मंगलवार ।

  • महाकुंभ षष्ठ स्नान (द्वितीय) प्रमुख शाही स्नान-माघ (मौनी) अमावस्या -29 जनवरी, 2025 ई., बुधवार

  • महाकुंभ सप्तम स्नान, (तृतीय) (अंतिम) शाही स्नान - माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी)-2 फरवरी, 2025 रविवार।

ध्यान दें- बसंत पंचमी का आरंभ 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से हो रहा है और यह 3 फरवरी को सुबह 7 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 3 फरवरी को बसंत पंचमी का आखिरी शाही स्नान होगा।

महाकुंभ में स्नान का महत्व
त्रिवेणी संगम यानी गंगा, यमुना व सरस्वती-तीनों पावन नदियों के संगम पर माघ मास और कुंभ पर्व पर स्नान, जप-पाठ और दानादि का धर्म शास्त्रों में विशेष महात्म्य वर्णित किया गया है। विधि पूर्वक माघ स्नान से बढ़कर कोई पवित्र और पाप नाशक पर्व नहीं। माघ मास में कुम्भ पर्व पर प्रयागराज में व्यक्ति तीन दिन भी नियमपूर्वक स्नान कर लेता है, तो उसे एक सहस्र अश्वमेघ यज्ञों को करने के बराबर पुण्य प्राप्त हो जाता है।
महाकुंभ महापर्व भारत की प्राचीन गौरवमयी वैदिकता भारतवर्ष का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस महापर्व के अवसर पर देश ही नहीं बल्कि विदेश तक से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 'कुंभ शब्द हेतु इकट्ठे होक्या घड़ा और 'कुम्भ' का अर्थ विश्व ब्रह्माण्ड भी है। कर शब्द का अर्थ है घर या घड़ाषा, संस्कृति, महात्माओं एवं सामान्य श्रद्धालुजनों का समागम हो, वही कुम्भ महापर्व कहलाता है।
कुंभ-पर्व के संबंध में वेद-पुराणों में अनेक महत्त्वपूर्ण मंत्र और प्रसंग मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि कुंभ-महापर्व अत्यन्त प्राचीन, प्रामाणिक और वैदिक धर्म से ओत-प्रोत है। 'ऋग्वेद' के दशम मण्डल के अनुसार कुंभ-पर्व में जाने वाला मनुष्य स्वयं स्नान, दान-होमादि सत्कर्मों के फलस्वरूप अपने पापों को वैसे ही नष्ट करता है, जैसे कुठार वन को काट देता है। जिस प्रकार नदी अपने तटों को काटती हुई प्रवाहित होती है, उसी प्रकार कुम्भ-पर्व मनुष्य के पूर्व कर्मों से प्राप्त हुए मानसिक व शारीरिक पापों को नष्ट करता है।

प्रमुख घाट:

प्रयागराज:

  1. संगम घाट: यह सबसे पवित्र स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है।

  2. दशाश्वमेध घाट: यहाँ पर भी पवित्र स्नान का आयोजन होता है।

  3. त्रिवेणी संगम: इसे भी पवित्र माना जाता है और यहाँ पर श्रद्धालु स्नान करते हैं।

हरिद्वार:

  1. हर की पौड़ी: यह हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट है और यहाँ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं।

  2. कनखल घाट: यहाँ पर भी पवित्र स्नान का आयोजन होता है।

  3. मायापुर घाट: यह हरिद्वार का एक और प्रमुख घाट है।

उज्जैन:

  1. राम घाट: यह उज्जैन का प्रमुख घाट है और यहाँ पर कुंभ मेला के दौरान स्नान का आयोजन होता है।

  2. काली देवी घाट: यहाँ पर भी श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं।

  3. नृसिंह घाट: यह भी एक महत्वपूर्ण घाट है जहाँ स्नान और पूजा का आयोजन होता है।

नासिक:

  1. रामकुंड: यह नासिक का प्रमुख घाट है और यहाँ पर कुंभ मेला के दौरान पवित्र स्नान होता है।

  2. कुशावर्त घाट: यह नासिक का एक और महत्वपूर्ण घाट है।

  3. गोदावरी घाट: यहाँ भी पवित्र स्नान का आयोजन होता है।

    प्रयागराज (इलाहाबाद) में कई धार्मिक मंदिर हैं जो अपनी अनूठी महत्वता और इतिहास के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ प्रमुख मंदिरों का विवरण दिया गया है:

    श्री बड़े हनुमान जी मंदिर (Shri Bade Hanuman Ji Temple)

    स्थान: त्रिवेणी संगम के पासविवरण: यह मंदिर भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह मूर्ति अद्वितीय है क्योंकि हनुमान जी यहाँ लेटे हुए स्वरूप में विराजमान हैं। मॉनसून के दौरान यह मूर्ति आंशिक रूप से जलमग्न हो जाती है, जिससे इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है।

    पतलपुरी मंदिर (Patalpuri Temple)

    स्थान: इलाहाबाद किले के अंदरविवरण: यह मंदिर इलाहाबाद किले के भीतर स्थित है। यहाँ पर अक्षयवट (अमर बरगद का पेड़) भी है, जो पवित्र माना जाता है और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखता है।

    आलोपी देवी मंदिर (Alopi Devi Temple)

    स्थान: अलोपीबाग क्षेत्रविवरण: यह प्राचीन शक्ति पीठ माँ आलोपी देवी को समर्पित है। यहाँ पर कोई मूर्ति नहीं होती, बल्कि एक लकड़ी की गाड़ी को देवी का प्रतीक माना जाता है।

    नाग वासुकी मंदिर (Nag Vasuki Temple)

    स्थान: दारागंज, गंगा नदी के पासविवरण: यह मंदिर नागों के राजा नाग वासुकी को समर्पित है। यहाँ भगवान शिव और देवी पार्वती के भी मंदिर हैं।

    ललिता देवी मंदिर (Lalita Devi Temple)

    स्थान: मीरापुर क्षेत्रविवरण: यह मंदिर देवी ललिता को समर्पित है और इसे 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में विशेष रूप से समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है।

    शंकर विमान मंदिपम (Shankar Viman Mandapam)

    स्थान: संगम के पासविवरण: यह दक्षिण भारतीय शैली का विशाल मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसकी चार मंजिला संरचना इसे प्रयागराज का प्रमुख स्थल बनाती है।

    कल्याणी देवी मंदिर (Kalyani Devi Temple)

    स्थान: कल्याणी देवी क्षेत्रविवरण: यह भी एक शक्ति पीठ है और देवी कल्याणी को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और आयोजन होते हैं।

    दशाश्वमेध मंदिर (Dashashwamedh Temple)

    स्थान: संगम के पासविवरण: यह मंदिर उन दस अश्वमेध यज्ञों से जुड़ा हुआ है जो भगवान ब्रह्मा ने यहाँ किए थे। यह स्थल आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

    सोमेश्वर महादेव मंदिर (Someshwar Mahadev Temple)

    स्थान: यमुना के किनारेविवरण: यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और महाशिवरात्रि के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।

    हनुमान मंदिर सिविल लाइन्स (Hanuman Mandir Civil Lines)

    स्थान: सिविल लाइन्स क्षेत्रविवरण: यह मंदिर भी भगवान हनुमान को समर्पित है और यहाँ का वातावरण शांति और सौम्यता से भरा होता है।

    पंचमुखी हनुमान मंदिर (Panchmukhi Hanuman Temple)

    स्थान: इलाहाबाद के व्यस्त इलाके में स्थितविवरण: यह मंदिर भगवान हनुमान के पंचमुखी (पांच मुख) स्वरूप को समर्पित है। यह स्थान अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

    मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple)

    स्थान: यमुना नदी के तट पर स्थितविवरण: यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में विशेष रूप से सावन मास के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

    लक्ष्मी नारायण मंदिर (Laxmi Narayan Temple)

    स्थान: सिविल लाइन्स क्षेत्र मेंविवरण: यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यहाँ पर दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान विशेष पूजा और आयोजन होते हैं।

    सरस्वती घाट मंदिर (Saraswati Ghat Temple)

    स्थान: संगम के पास स्थितविवरण: यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है और यहाँ पर भक्तजन पवित्र नदी में स्नान करते हैं। यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

    भारद्वाज मंदिर (Bharadwaj Temple)

    स्थान: दारागंज क्षेत्र मेंविवरण: यह मंदिर ऋषि भारद्वाज को समर्पित है। यहाँ पर धार्मिक अनुष्ठान और साधना के लिए श्रद्धालु आते हैं।

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