करवा चौथ हिंदू महिलाओं का एक प्रमुख व्रत है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के बीच के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। इसमें कई परंपराओं, अनुष्ठानों और कथाओं का समावेश होता है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

1. करवा चौथ की उत्पत्ति

करवा चौथ की उत्पत्ति कई पुरानी कहानियों और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी है। यह त्यौहार युद्ध काल से संबंधित है जब महिलाएं अपने पतियों की रक्षा और लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती थीं, जो युद्ध में गए होते थे। इसका संबंध करवा नामक मिट्टी के बर्तन से भी है, जिसका उपयोग विशेष रूप से पूजा में किया जाता है। यह बर्तन समृद्धि और सफलता का प्रतीक है।

करवा चौथ का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करना है। यह त्यौहार एक प्रकार का व्रत है, जिसमें महिलाएं दिनभर बिना पानी और भोजन के रहकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। कई महिलाएं सामूहिक रूप से करवा चौथ की पूजा करती हैं। कॉलोनियों, सोसाइटीज़ या मंदिरों में महिलाएं एकत्रित होकर पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं। इस सामूहिक पूजा से एकता और स्नेह की भावना बढ़ती है।

2. करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक महत्व है:

  • पति की लंबी आयु की कामना: करवा चौथ का मुख्य उद्देश्य अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना करना है।

  • पति-पत्नी का अटूट बंधन: यह व्रत पति-पत्नी के बीच के प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है। इसके माध्यम से पत्नियाँ यह दिखाती हैं कि वे अपने पति की सुरक्षा और लंबी आयु के लिए कितनी समर्पित हैं।

  • समाज में महिला की भूमिका: यह त्यौहार महिलाओं की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाता है, खासकर अपने परिवार के प्रति उनके समर्पण और बलिदान को।

3. करवा चौथ की शुरुआत और समापन

व्रत की शुरुआत:

  • सरगी का सेवन: करवा चौथ के दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले 'सरगी' से होती है। सरगी वह भोजन है जो महिला को उसकी सास के द्वारा दिया जाता है। इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, और विशेष खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जिन्हें सूर्योदय से पहले ग्रहण किया जाता है ताकि महिला दिनभर व्रत रख सके।

पूजन विधि:

  • करवा थाली की तैयारी: महिलाएं करवा चौथ की पूजा के लिए एक विशेष थाली सजाती हैं, जिसमें रोली, चावल, दीपक, करवा (मिट्टी का बर्तन), मिठाई और जल भरा होता है।

  • मूर्ति की पूजा: पूजा के दौरान महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। करवा चौथ की कथा सुनने के बाद महिलाएं पूजा करती हैं और फिर चंद्रमा का इंतजार करती हैं।

व्रत का समापन:

  • चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य: रात में चंद्रमा के दर्शन होते ही महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, फिर अपने पति का चेहरा देखकर उनके हाथ से पानी पीती हैं। चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है, जिसे अर्घ्य कहा जाता है। इसके बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और भोजन ग्रहण करती हैं। करवा चौथ अब सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चित हो गया है। महिलाएं अपने व्रत के अनुभवों, तस्वीरों और तैयारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर साझा करती हैं। खासकर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर करवा चौथ की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करने का प्रचलन बढ़ गया है। इसके जरिए महिलाएं अपनी तैयारियों और पूजा की झलकियां अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करती हैं।

4. करवा चौथ की कथाएँ

कथा 1: वीरवती की कथा

वीरवती नाम की एक रानी थी, जो सात भाइयों की इकलौती बहन थी। उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन भूख और प्यास से व्याकुल होकर वह बेहोश हो गई। भाइयों ने अपनी बहन की हालत देखकर उसे जल्दी व्रत खोलने की योजना बनाई। उन्होंने एक पेड़ पर दीपक जलाकर उसे चंद्रमा का आभास दिलाया, और वीरवती ने व्रत खोल दिया। इसके तुरंत बाद उसे खबर मिली कि उसका पति मर चुका है। वीरवती ने माता पार्वती से प्रार्थना की, जिन्होंने उसे सच्ची कथा सुनाई और उसकी श्रद्धा देखकर उसके पति को जीवित कर दिया। तब से करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।

कथा 2: करवा और उसके पति की कथा

एक समय की बात है, एक महिला जिसका नाम करवा था, अपने पति के साथ नदी किनारे रहती थी। एक दिन उसके पति को नदी में नहाते समय मगरमच्छ ने पकड़ लिया। करवा ने अपनी सच्ची निष्ठा और शक्ति से मगरमच्छ को बांध दिया और यमराज से उसके पति की रक्षा की प्रार्थना की। यमराज ने करवा की भक्ति देखकर मगरमच्छ को मृत्युदंड दिया और उसके पति को जीवनदान दिया। इस कथा के आधार पर यह त्यौहार करवा चौथ के नाम से जाना जाता है, जिसमें पत्नियाँ अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना करती हैं।

कथा 3: चंद्रमा की कथा

एक और प्रसिद्ध कथा चंद्रमा से संबंधित है। एक समय चंद्र देव का अपने ही माता-पिता से विवाद हो गया था, जिसके कारण उन्हें श्राप मिला कि उनके दर्शन से लोग संकट में पड़ेंगे। लेकिन बाद में देवी लक्ष्मी की कृपा से यह श्राप बदला गया और कहा गया कि जो व्यक्ति चंद्रमा की पूजा करेगा और उसे अर्घ्य देगा, उसकी सभी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी। इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएँ अपने पति के जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं।

5. करवा चौथ के अनुष्ठान

  • सरगी: सास अपनी बहू को सूर्योदय से पहले सरगी भेजती है। इसमें फल, मिठाई, और पौष्टिक भोजन होते हैं, जिससे व्रत करने वाली महिला को ऊर्जा मिलती है।

  • करवा थाली: महिलाएं अपनी थाली में करवा (मिट्टी का बर्तन), दीपक, चावल, रोली, और मिठाई रखती हैं, और इससे शाम को पूजा करती हैं।

  • कथा सुनना: व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा सुनना इस व्रत का एक अनिवार्य हिस्सा है।

  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य: चंद्रमा निकलने के बाद महिलाएं छलनी से पहले चंद्रमा और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खोलता है।

6. करवा चौथ में क्या करें और क्या न करें

क्या करें (Do's):

  • सूर्योदय से पहले सरगी खाएँ: सरगी का सेवन करना इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह आपको दिनभर ऊर्जा देता है।

  • पूरे दिन निर्जल व्रत रखें: महिलाएं दिनभर बिना पानी और भोजन के व्रत रखती हैं।

  • शुद्धता और साफ-सफाई का ध्यान रखें: पूजा करते समय पवित्रता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  • चंद्रमा को अर्घ्य दें: व्रत तभी समाप्त होता है जब चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है।

क्या न करें (Don'ts):

  • व्रत के दौरान पानी न पिएँ: करवा चौथ का व्रत पूरी तरह निर्जला होता है।

  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें: इस दिन के दौरान सकारात्मक विचार रखें और क्रोध या विवाद से बचें।

  • चंद्र दर्शन से पहले व्रत न खोलें: चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलें, उससे पहले नहीं।

करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा के साथ जुड़ा है। हालांकि इस त्यौहार से जुड़ा कोई विशेष मंदिर नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख मंदिर हैं जहां करवा चौथ के दिन विशेष पूजा की जाती है:

  • माता वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू और कश्मीर

  • महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन

  • कालीघाट मंदिर, कोलकाता

  • कामाख्या मंदिर, असम

  • बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश

करवा चौथ से जुड़ी फिल्में

बॉलीवुड ने करवा चौथ के त्यौहार को ग्लैमर और रोमांस के साथ प्रस्तुत किया है। फिल्मों में करवा चौथ के दृश्य दर्शकों को उत्साहित और रोमांचित करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख फिल्में दी गई हैं जिनमें करवा चौथ के अनुष्ठानों को दर्शाया गया है:

a. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995)

शाहरुख खान और काजोल की इस सुपरहिट फिल्म में करवा चौथ का एक यादगार दृश्य है। इस दृश्य में काजोल अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है, और शाहरुख खान उसे व्रत खोलने में मदद करता है। यह दृश्य बेहद रोमांटिक और भावनात्मक है, जो इस त्यौहार की महत्ता को और बढ़ाता है।

b. कभी खुशी कभी गम (2001)

इस फिल्म में काजोल और शाहरुख खान की जोड़ी फिर से करवा चौथ का व्रत मनाते हुए नजर आती है। करवा चौथ के दृश्य में काजोल अपने पति के लिए व्रत रखती है और परिवार के अन्य सदस्य भी इस पूजा में शामिल होते हैं। इस फिल्म में करवा चौथ का दृश्य भारतीय संस्कृति की समृद्धता और परंपराओं को दर्शाता है।

c. बागबान (2003)

अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की इस फिल्म में करवा चौथ का दृश्य एक खास रोमांटिक लम्हे को दर्शाता है। इस दृश्य में हेमा मालिनी करवा चौथ का व्रत रखती हैं और अमिताभ बच्चन उसे प्यार से पानी पिलाते हैं। यह दृश्य दिखाता है कि वृद्धावस्था में भी पति-पत्नी का रिश्ता कितना मजबूत और प्यार भरा होता है।

d. हम दिल दे चुके सनम (1999)

सलमान खान, ऐश्वर्या राय, और अजय देवगन की इस फिल्म में भी करवा चौथ का दृश्य खास है। ऐश्वर्या राय का सलमान खान के लिए व्रत रखना और बाद में अजय देवगन के साथ जीवन जीने का निर्णय करना इस त्यौहार के एक भावनात्मक पहलू को दर्शाता है।

आधुनिक समय में करवा चौथ एक उत्सव के रूप में भी देखा जाता है जिसमें पति अपनी पत्नियों को गिफ्ट देते हैं। ये उपहार गहनों, परिधानों, या किसी अन्य खास चीज के रूप में हो सकते हैं। कई पत्नियाँ भी अपने पतियों के लिए सरप्राइज प्लान करती हैं, जिससे उनका बंधन और मजबूत होता है। करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रेम, निष्ठा, और विश्वास का प्रतीक है। यह त्यौहार पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है और पारिवारिक जीवन में स्थिरता और सौहार्द की भावना को बढ़ाता है।

Contact Us

Email: adityagupta200@gmail.com  

Phone: 9731764134

Support Us(Paytm, PhonePe, Gpay) - 9731764134

Bhagwatiganj, Balrampur - 271201

Sector 11, Noida - 201301

© 2025 Amatya

Instagram icon
LinkedIn icon
Intuit Mailchimp logo