जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो सामान्यतः अगस्त या सितंबर में पड़ता है। जन्माष्टमी भारत और विश्वभर के हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जिन्हें उनकी दिव्य लीलाओं, ज्ञान, और धर्म के रक्षक के रूप में जाना जाता है।
1. जन्माष्टमी का इतिहास
1.1 भगवान कृष्ण का जन्म:
भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था, लगभग 5,000 वर्ष पूर्व, मथुरा नगरी में। उनके जन्म की कथा चमत्कारों से भरी हुई है। हिंदू मान्यता के अनुसार, कृष्ण का जन्म देवकी और वसुदेव के यहाँ हुआ था, जिन्हें देवकी के भाई और अत्याचारी राजा कंस ने कारागार में बंदी बना रखा था। एक भविष्यवाणी के अनुसार, कंस का वध देवकी के आठवें पुत्र द्वारा होना था, इसलिए कंस ने उनके पहले छह बच्चों को मार दिया। सातवाँ पुत्र भगवान बलराम रहस्यमय ढंग से रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गया और आठवें पुत्र भगवान कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ। वसुदेव ने नवजात कृष्ण को यमुना नदी पार करके गोकुल पहुँचाया, जहाँ उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद जी ने किया।
1.2 हिंदू शास्त्रों में महत्ता:
भगवान कृष्ण का जीवन महाभारत, भागवत पुराण, और विष्णु पुराण जैसे कई हिंदू शास्त्रों में वर्णित है। उनके बचपन की लीलाएँ दिव्य चमत्कारों से भरी हुई हैं, और उन्हें धर्म के रक्षक, अधर्म के नाशक, और न्याय के स्थापक के रूप में देखा जाता है। महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन और कृष्ण के बीच संवाद, जिसे भगवद गीता के रूप में जाना जाता है, जीवन और आध्यात्मिकता के मार्गदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
2. जन्माष्टमी का महत्व
2.1 दिव्य प्रेम और भक्ति का प्रतीक:
जन्माष्टमी दिव्य प्रेम और भक्त और भगवान के बीच के अटूट बंधन का उत्सव है। कृष्ण के बाल्यकाल की लीलाएँ, उनके गरीबों के रक्षक की भूमिका, और जीवन और आध्यात्मिकता पर उनके उपदेश उन्हें हिंदू धर्म में सबसे प्रिय देवताओं में से एक बनाते हैं।
2.2 बुराई पर अच्छाई की विजय:
कृष्ण का जीवन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। उनका जन्म और जीवन पाप के नाश और धर्म की स्थापना का संकेत है। यह संदेश जन्माष्टमी के उत्सवों का केंद्रीय तत्व है, जहाँ भक्तों को धर्म के महत्व और सत्य और न्याय की अंतिम जीत की याद दिलाई जाती है।
2.3 आध्यात्मिक मार्गदर्शन:
कृष्ण के उपदेश, विशेष रूप से भगवद गीता में, गहरे आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और धर्मपूर्ण जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जन्माष्टमी भक्तों के लिए इन उपदेशों पर विचार करने, अपने विश्वास को नवीनीकृत करने, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का समय होता है।
3. जन्माष्टमी के अनुष्ठान
3.1 उपवास (उपवास):
उपवास जन्माष्टमी के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त पूरे दिन उपवास करते हैं, जिसे केवल मध्यरात्रि के बाद तोड़ा जाता है, जो कृष्ण के जन्म का समय है। कुछ भक्त बिना जल के कठोर उपवास (निर्जला) करते हैं, जबकि अन्य फल, दूध, या अन्य उपवास खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
3.2 अभिषेक (धार्मिक स्नान):
जन्माष्टमी पर एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान कृष्ण प्रतिमा का अभिषेक या धार्मिक स्नान है। प्रतिमा को दूध, शहद, घी, दही, और पानी के मिश्रण से स्नान कराया जाता है, जिसे पंचामृत कहते हैं। यह अनुष्ठान मध्यरात्रि में किया जाता है, इसके बाद प्रतिमा को नए वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है।
3.3 कृष्ण पूजा और आरती:
कृष्ण की पूजा में फूल, फल, मिठाइयाँ, और धूप अर्पित करना शामिल होता है। भक्त कृष्ण मंत्रों का उच्चारण करते हैं, भजनों का गायन करते हैं, और दीपों के साथ आरती करते हैं। आरती सामान्यतः अभिषेक के बाद की जाती है।
3.4 भगवद गीता और भागवत पुराण का पाठ:
भक्त भगवद गीता और भागवत पुराण के श्लोकों का पाठ करते हैं, जिसमें कृष्ण के जीवन और उपदेशों का वर्णन होता है। यह सामान्यतः मंदिरों में किया जाता है, जहाँ भक्त प्रवचन सुनने और कीर्तन में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं।
3.5 दही हांडी:
महाराष्ट्र और कुछ अन्य क्षेत्रों में, उत्सव का मुख्य आकर्षण दही हांडी होता है, जहाँ मटकी में दही, मक्खन, और धनराशि भरकर उसे ऊँचाई पर लटकाया जाता है। युवकों की टोली मानव पिरामिड बनाकर इस मटकी को तोड़ने का प्रयास करती है, जो कृष्ण के मक्खन चोरी करने की लीलाओं की पुनरावृत्ति है।
दही हांडी के आयोजन में स्थानीय समुदाय बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना से परिपूर्ण होता है, बल्कि इसे एक खेल और उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। दही हांडी को तोड़ने वाले समूह को पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
3.6 झूलनोत्सव (झूला उत्सव):
जन्माष्टमी पर झूलनोत्सव का आयोजन होता है, जहाँ कृष्ण की प्रतिमा को एक सुंदर रूप से सजाए गए झूले में रखा जाता है। भक्त इस झूले को धीरे-धीरे झुलाते हैं और भजन गाते हैं, जो यशोदा का बाल कृष्ण के प्रति प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
यशोदा-कृष्ण का संबंध:
झूलनोत्सव यशोदा और बाल कृष्ण के स्नेहपूर्ण संबंध का प्रतीक है। भक्तगण इस अनुष्ठान के माध्यम से भगवान कृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओं का स्मरण करते हैं और उनके प्रति अपने प्रेम का इज़हार करते हैं।
4. जन्माष्टमी के लिए करें और न करें
करें:
उपवास: श्रद्धा के साथ उपवास रखें, और अपनी परंपरा या व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार उपवास के नियमों का पालन करें।
स्वच्छता: पूजा स्थल और अपने घर को साफ-सुथरा रखें और फूलों और रंगोली से सजाएँ।
धार्मिक गतिविधियाँ: भजन गाने, शास्त्रों का पाठ करने, और कृष्ण मंत्रों का जाप करने जैसी धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहें।
दान: दान और दयालुता के कार्य करें, जो कृष्ण के करुणा और निःस्वार्थता के उपदेशों को दर्शाता है।
मंदिर के कार्यक्रमों में भाग लें: मंदिर जाएं और सामुदायिक प्रार्थनाओं और उत्सवों में भाग लें।
न करें:
क्रोध या नकारात्मक भावनाएँ: शांति और आनंद का भाव बनाए रखें, क्रोध, तर्क, या नकारात्मक विचारों से बचें।
विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन न करें: यदि आप पारंपरिक उपवास रख रहे हैं, तो अनाज, अनाज, और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
शराब या नशीले पदार्थों का सेवन न करें: इस पवित्र दिन पर शराब या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें।
अतिरेक से बचें: उपवास तोड़ते समय भोजन या अन्य सुख-सुविधाओं में अति न करें।
असम्मान न करें: सुनिश्चित करें कि अनुष्ठान सम्मान और श्रद्धा के साथ किए जाएं, और किसी भी तरह की असम्मानजनक क्रियाओं से बचें।
5. जन्माष्टमी के लिए प्रार्थनाएँ और मंत्र
5.1 कृष्ण मंत्र:
जन्माष्टमी पर भक्तगण निम्नलिखित मंत्र का जाप करते हैं:
ॐ श्री कृष्णाय नमः Om Shri Krishnaya Namah
अर्थ: "मैं भगवान कृष्ण को नमन करता हूँ।"
5.2 हरे कृष्ण महामंत्र:
हरे कृष्ण मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित एक सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है:
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥ Hare Krishna Hare Krishna, Krishna Krishna Hare Hare,Hare Rama Hare Rama, Rama Rama Hare Hare.
5.3 गोपाल मंत्र:
यह मंत्र भगवान कृष्ण के बाल रूप गोपाल को समर्पित है:
गोपीजनवल्लभाय स्वाहा Gopijana Vallabhaya Svaha
अर्थ: "मैं गोपियों के प्रियतम को समर्पित करता हूँ।"
5.4 गोविंद मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय Om Namo Bhagavate Vasudevaya
अर्थ: "मैं भगवान वासुदेव (कृष्ण) को नमन करता हूँ।"
5.5 विष्णु सहस्रनाम:
विष्णु सहस्रनाम, जो भगवान विष्णु के हजार नामों की लड़ी है, का पाठ भी जन्माष्टमी पर किया जाता है, क्योंकि कृष्ण विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
6. जन्माष्टमी पर उपवास
उपवास जन्माष्टमी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे भक्ति और आत्मशुद्धि के रूप में माना जाता है। उपवास के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
6.1 निर्जला उपवास: एक कठोर उपवास जहाँ भक्त पूरे दिन भोजन और जल से परहेज करते हैं, और केवल मध्यरात्रि की पूजा के बाद उपवास तोड़ते हैं।
6.2 फलाहार उपवास: भक्त केवल फल, दूध, और बिना अनाज वाले पदार्थों का सेवन करते हैं। यह उपवास उन लोगों के लिए सामान्य है जो निर्जला उपवास कठिन मानते हैं।
6.3 एकादशी जैसे उपवास: कुछ भक्त एकादशी जैसे उपवास का पालन करते हैं, जहाँ वे अनाज, दाल, और कुछ सब्जियों से परहेज करते हैं, और केवल कुछ अनुमत खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
6.4 उपवास (आंशिक उपवास): कुछ भक्त दिन के दौरान एक बार भोजन करते हैं, जो सामान्यतः सरल शाकाहारी भोजन होता है जिसमें अनाज शामिल नहीं होता है।
7. भारत और विदेशों में जन्माष्टमी से जुड़े मंदिर
7.1 भारत के मंदिर:
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा: मथुरा में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के रूप में महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह मंदिर जन्माष्टमी के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।
द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका: गुजरात में स्थित यह मंदिर कृष्ण को द्वारका के राजा के रूप में समर्पित है। यहाँ जन्माष्टमी के उत्सव बहुत भव्य होते हैं।
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन: वृंदावन कृष्ण के बाल्यकाल से संबंधित है। बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, जो अपनी जीवंत जन्माष्टमी के उत्सवों के लिए जाना जाता है।
इस्कॉन मंदिर: इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के मंदिर पूरे भारत में हैं, जिनमें प्रमुख वृंदावन, मायापुर और बैंगलोर में हैं। ये मंदिर अपने विस्तृत जन्माष्टमी उत्सवों के लिए प्रसिद्ध हैं।
जगन्नाथ मंदिर, पुरी: रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध पुरी का जगन्नाथ मंदिर जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष प्रार्थनाओं और उत्सवों का आयोजन करता है।
गुरुवायुर मंदिर, केरल: गुरुवायुर एक और महत्वपूर्ण कृष्ण मंदिर है, जहाँ जन्माष्टमी विशेष प्रार्थनाओं, जुलूसों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाई जाती है।
उडुपी श्री कृष्ण मठ, कर्नाटक: यह मंदिर दक्षिण भारत में कृष्ण की पूजा का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ जन्माष्टमी बड़ी श्रद्धा और अनुष्ठानों के साथ मनाई जाती है, जो पूरे देश से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है।
7.2 विदेशों में मंदिर:
भक्तिवेदांत मनोर, यूके: लंदन के निकट स्थित भक्तिवेदांत मनोर यूरोप के सबसे बड़े इस्कॉन मंदिरों में से एक है। यहाँ भव्य जन्माष्टमी उत्सव आयोजित होते हैं, जिनमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।
राधा-कृष्ण मंदिर, यूटा, यूएसए: स्पेनिश फोर्क, यूटा में स्थित राधा-कृष्ण मंदिर अपने जीवंत जन्माष्टमी उत्सवों के लिए जाना जाता है, जिसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन, पूजा, और एक उत्सवमय वातावरण होता है।
श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड: ऑकलैंड में इस्कॉन मंदिर दक्षिणी गोलार्ध के सबसे बड़े जन्माष्टमी उत्सवों की मेजबानी करता है।
श्री कृष्ण मंदिर, सिंगापुर: सिंगापुर का सबसे पुराना हिंदू मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर, जन्माष्टमी को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाता है, जिसमें विशेष प्रार्थनाएँ, कीर्तन, और सामुदायिक भोज होते हैं।
इस्कॉन मंदिर, नैरोबी, केन्या: नैरोबी में इस्कॉन मंदिर अफ्रीका में कृष्ण भक्ति के लिए एक प्रमुख केंद्र है, और यह जन्माष्टमी के अवसर पर विस्तृत अनुष्ठानों और सामुदायिक सभाओं का आयोजन करता है।
राधा माधव धाम, टेक्सास, यूएसए: ऑस्टिन, टेक्सास में स्थित यह मंदिर उत्तर अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसरों में से एक है। यहाँ जन्माष्टमी उत्सवों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रार्थनाएँ, और जुलूस शामिल होते हैं।
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह करोड़ों हिंदुओं के लिए गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का उत्सव है। यह भक्तों के लिए भगवान कृष्ण के साथ जुड़ने, उनके उपदेशों का जश्न मनाने, और प्रेम, धर्म, और भक्ति के सिद्धांतों पर विचार करने का समय है, जिनका कृष्ण ने उदाहरण प्रस्तुत किया। चाहे उपवास, प्रार्थना, या सामुदायिक उत्सव के माध्यम से हो, जन्माष्टमी आध्यात्मिक विकास और नवीनीकरण का अवसर प्रदान करता है, जो भक्तों को भगवान और एक-दूसरे के करीब लाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: जन्माष्टमी का पर्व भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण अवतार में इस धरती पर जन्म लेने के फलस्वरूप मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने अधर्म का नाश कर हमें धर्म की शिक्षा दी थी।
प्रश्न: कृष्ण अष्टमी का क्या महत्व है?
उत्तर: कृष्ण अष्टमी के माध्यम से हम भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दी गई शिक्षाओं को ग्रहण करते हैं। यह पर्व हमें श्रीकृष्ण के गुणों को अपनाने और उसी के अनुसार कर्म करते रहने की शिक्षा देता है।
प्रश्न: जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाई जा रही है?
उत्तर: जन्माष्टमी वैसे तो एक ही दिन मनाई जाती है जो कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी होती है। हालाँकि श्रीकृष्ण का जन्म रात के बारह बजे हुआ था, इस कारण भक्तगण इसे दूसरे दिन भी मनाते हैं।
Contact Us
Email: adityagupta200@gmail.com
Phone: 9731764134
Support Us(Paytm, PhonePe, Gpay) - 9731764134
Bhagwatiganj, Balrampur - 271201
Sector 11, Noida - 201301
© 2025 Amatya