हाई बीपी यानी उच्च रक्तचाप एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त धमनियों पर अधिक दबाव पड़ता है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि कई बार इसके लक्षण तुरंत महसूस नहीं होते। आइए विस्तार से जानते हैं इसके कारण:
हाइपरटेंशन धमनी की दीवारों के खिलाफ रक्त प्रवाह द्वारा लगाए गए दबाव की मात्रा है। इसलिए जब किसी व्यक्ति के उच्च रक्तचाप का निदान किया जाता है, तो इसका मतलब है कि उसके संचार तंत्र (धमनियों) की दीवारों पर लगातार बहुत अधिक दबाव पड़ रहा है। हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारे पूरे शरीर में रक्त को तब तक पंप करता रहता है जब तक हम जीवित रहते हैं।
ऑक्सीजन की कमी वाले रक्त को हृदय की ओर पंप किया जाता है, जहां इसमें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सामग्री को फिर से भर दिया जाता है। इसके बाद दोबारा इस ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर में हृदय द्वारा पंप किया जाता है। इससे हमारी चयापचय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों और कोशिकाओं को महत्वपूर्ण पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। रक्त की इसी पम्पिंग को रक्तचाप कहते हैं।
उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन चार अलग-अलग चरणों में श्रेणियां हैं:
स्टेज 1: प्री-हाइपरटेंशन, इसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है।
स्टेज 2: माइल्ड हाइपरटेंशन, इसमें ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है।
स्टेज 3: मध्यम उच्च रक्तचाप, इसमें रक्तचाप की सीमा 160/110-179/109 होती है।
स्टेज 4: गंभीर उच्च रक्तचाप, इसमें रक्तचाप 180/110 या उससे भी अधिक होता है।
एक बार जब इसे पूर्व-उच्च रक्तचाप (प्री-हाइपरटेंशन) के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो विभिन्न प्रिवेंटिव मेजर, डीएएसएच इसकी आगे की प्रगति में मदद कर सकते हैं। लेकिन कुछ मामलों में प्री-हाइपरटेंशन, मध्यम या गंभीर उच्च रक्तचाप का कारण बनता है
✅ अस्वस्थ खानपान: तली-भुनी चीजें, जंक फूड और ज्यादा नमक खाने से बीपी बढ़ता है। ✅ शारीरिक गतिविधि की कमी: नियमित व्यायाम न करने से रक्तचाप बढ़ सकता है। ✅ अत्यधिक वजन: मोटापा से हृदय पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे बीपी बढ़ने की संभावना रहती है।
✅ वर्क स्ट्रेस: अत्यधिक काम का दबाव और तनाव हाई बीपी का प्रमुख कारण है। ✅ गुस्सा और चिंता: लंबे समय तक चिंता, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन रक्तचाप को असंतुलित कर सकता है। ✅ नींद की कमी: पूरी नींद न लेने से हार्मोन असंतुलन होता है, जिससे बीपी प्रभावित होता है।
✅ अगर परिवार में किसी को हाई बीपी की समस्या रही है, तो आपको भी इसका खतरा अधिक हो सकता है। ✅ आनुवांशिक कारणों से शरीर की धमनियां अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
✅ अत्यधिक नमक रक्त धमनियों को संकुचित कर सकता है, जिससे रक्तचाप बढ़ता है। ✅ ज्यादा फैट और कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। ✅ अत्यधिक शर्करा (चीनी) का सेवन वजन और बीपी दोनों बढ़ा सकता है।
✅ धूम्रपान धमनियों को संकुचित करता है, जिससे रक्तचाप असंतुलित हो जाता है। ✅ अल्कोहल हृदय की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है और बीपी को बढ़ा सकता है।
✅ मधुमेह: डायबिटीज होने पर बीपी बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। ✅ थायराइड की समस्या: हार्मोन असंतुलन के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है। ✅ किडनी संबंधी रोग: किडनी ठीक से कार्य न करे तो बीपी बढ़ सकता है।
✅ बढ़ती उम्र के साथ धमनियां सख्त हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। ✅ महिलाओं में रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान बीपी बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
✅ लगातार सिरदर्द रहना, खासकर सुबह के समय। ✅ हल्का चक्कर आना या सिर घूमना, खासकर अचानक खड़े होने पर।
✅ हृदय की धड़कन तेज हो जाना या अनियमित धड़कन महसूस होना। ✅ अचानक घबराहट या बेचैनी महसूस होना।
✅ मामूली गतिविधि में भी सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है। ✅ कुछ लोगों को अचानक गहरी सांस लेने की जरूरत महसूस होती है।
✅ शरीर में असामान्य रूप से थकान या कमजोरी महसूस होना। ✅ काम करने की क्षमता कम हो जाना और ज्यादा आराम की जरूरत लगना।
✅ धुंधला या अस्पष्ट दिखना, खासकर ज्यादा बीपी होने पर। ✅ आंखों में दबाव या भारीपन महसूस होना।
✅ बिना किसी शारीरिक मेहनत के ज्यादा पसीना निकलना। ✅ शरीर में तापमान महसूस होना और ठंड में भी गर्मी का अहसास होना।
✅ छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या चिड़चिड़ापन महसूस होना। ✅ अचानक मूड बदलना और अनावश्यक तनाव महसूस होना।
✅ अत्यधिक हाई बीपी होने पर कभी-कभी नाक से खून निकल सकता है। ✅ यह अधिकतर अत्यधिक तनाव या गर्मी के कारण होता है।
✅ यदि हाई बीपी का स्तर बहुत बढ़ जाता है, तो छाती में दर्द हो सकता है। ✅ यह हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत भी हो सकता है।
✅ रात में अच्छी नींद न आना और बार-बार जागना। ✅ अनिद्रा की समस्या हो सकती है, जिससे शरीर और दिमाग पर असर पड़ता है।
ताजे फल जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, आड़ू आदि आवश्यक पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट का एक बड़ा स्रोत हैं जो दिल के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं आहार में नियमित फलों का सेवन हृदय सम्बंधी विकारों, हृदय रोग, स्ट्रोक, अटैक आदि के जोखिम को कम कर सकता है।
फल फाइबर से भरपूर हैं यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं। इनमें पॉलीफेनोल्स भी मौजूद होते हैं, जो सूजन को कम करने मददगार हैं तथा ऑक्सीडेटिव तनाव से भी बचाते हैं।
कुछ फलों में पोटैशियम की मात्रा भी अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने और हृदय की सेहत को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है सलाद, स्मूदी, जूस या नाश्ते के रूप में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
आम
आम को गर्मियों के सबसे लोकप्रिय फलों में से एक माना जाता है आम पौष्टिक होने के साथ साथ इसमें प्रोटीन, फाइबर, पोटेशियम और अन्य विटामिन भी मौजूद होते हैं,
जो दिल की सेहत को बेहतर बनाने (Healthy heart) में आपकी मदद कर सकते हैं। दिल के स्वास्थ्य और रक्तचाप के लिए पोटेशियम बढ़ाना और सोडियम का सेवन कम करना बहुत फायदेमंद है।
पपीता
पपीता एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के साथ साथ फाइबर, विटामिन सी से भी भरपूर होता है पपीता को खा भी सकते हैं और इसका शेक बनाकर भी पी सकते हैं,
पपीते में मौजूद पैपिन दिल और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि यह सूजन को भी कम करता है। पपीता पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कब्ज से राहत दिलाने में भी सहायक होता है।
ताजी और हरी सब्जियां जैसे तोरी, बैंगन, ब्रोकली, तर, ककड़ी, बेल, हरी मिर्च आदि आवश्यक खनिजों से भरे होते हैं जो दिल की सेहत को ठीक रखने में मददगार होते हैं।
सब्जियां फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं, जो वजन कंट्रोल रखने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने, सूजन को कम करने और सम्पूर्ण हृदय की सेहत में सुधार करने में सहायक हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बैंगन विटामिन बी और फोलेट का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो दिल का दौरा पड़ने के जोखिम को काफी कम करता है।
फलियां भी सम्पूर्ण स्वास्थ्य को हेल्दी रखने के साथ साथ दिल को मजबूत और हेल्दी (Healthy heart) बनाने में लाभदायक होती है।
रोजाना एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स का लगातार सेवन करने से दिल के रोगों का खतरा काफी कम हो जाता है तथा हार्ट और हार्ट की मांसपेशियां मजबूत होती है।
नट्स उच्च प्रोटीन, स्वस्थ वसा, विटामिन और खनिजों का एक बड़ा स्रोत हैं, ड्राई फ्रूट्स फाइबर का भी एक बहुत अच्छा स्रोत होते हैं, जो दिल के स्वास्थ्य, पाचन क्रिया और वजन प्रबंधन में मददगार होते हैं।
रोज नट्स खाने से उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है जिससे हृदय रोग का खतरा काफी कम होता है।
इसके अलावा यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने, सूजन को कम करने और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर होते हैं
इसलिए नट्स का सेवन सभी तरह की बीमारियों से बचाने और इम्यून सिस्टम मजबूत करने के साथ दिल को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।
बीजों का इस्तेमाल सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इनमें अनेक पोषक तत्व और औषधीय गुण मौजूद होते हैं। बीजों में उच्च फाइबर मौजूद होने के साथ साथ इनमें हेल्दी फैट, वेज प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स गुण भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।
इन बीजों को अगर अपने नियमित आहार में शामिल किया जाए तो बहुत सी सामान्य बीमारियां जैसे डायबिटीज, रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल, दिल के रोग आदि से आसानी से बचा जा सकता है, तथा
और भी बहुत सी खतरनाक बीमारियों से बचाने में भी ये बीज मददगार होते हैं। दिल के रोगों के खतरे को कम करके दिल को मजबूती प्रदान करने में बीज बहुत फायदेमंद होते हैं।
अलसी के बीज सेहत के लिए गुणकारी और Healthy heart के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं इसलिए अलसी का सेवन हर किसी इंसान को अवश्य करना चाहिए क्योंकि अलसी के फायदे अनगिनत होते है।
अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर मुख्य रूप से होने के साथ-साथ इसमें विशेष रूप से अल्फा लिनोलेनिक एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है। इन अलसी के बीजों का सेवन रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है तथा हृदय रोगों के जोखिम से बचाता है।
ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन स्ट्रोक और दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के साथ साथ बेड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
सैल्मन में उच्च स्तरीय प्रोटीन और सैचुरेटेड फैट कम होता है, जो दिल की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
हार्ट के कमजोर होने के अनेकों कारण है आज के समय हार्ट अटैक का हार्ट फेलियर के कारण युवावस्था में ही लोगों की मौत हो रही है।
दिल के के कमजोर होने का मुख्य कारण हमारा लाइफस्टाइल और खानपान तथा परिवारिक हार्ट डिजीज हिस्ट्री हो सकता है।
आजकल मैदे से बनी हुई वस्तुएं या फास्ट फूड जंक फूड का अधिक प्रयोग होने के कारण दिल कमजोर होने लगता है।
शरीर में होने वाली विटामिन डी की कमी भी दिल की बीमारी का कारण बनती है। इससे कैंसर, डायबिटीज, मोटापे आदि का खतरा भी बढ़ता है। इसलिए रोज 15 से 20 मिनट सुबह की धूप में बिताने से विटामिन डी की कमी पूरी होती है और तनाव भी कम होता है।
विटामिन डी वाला भोजन जैसे पनीर, संतरे का रस, सोया दूध आदि का नियमित सेवन करना दिल के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है।
कम पानी पीने वालों की तुलना में नियमित 7 से 10 गिलास पानी पीने वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने की आशंका बहुत कम हो जाती है। ज्यादा पानी पीने से शरीर हाइड्रेट बना रहता है व इससे ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा रखता है।
जबकि डिहाइड्रेशन से ब्लड सर्कुलेशन गिर जाता है। व ब्लड क्लॉट का जोखिम बढ़ जाता है जो हृदय के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। इसलिए Healthy heart के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
रोजाना हर घंटे 5 मिनट चलना दिल के स्वास्थ्य यानि Healthy heart के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। क्योंकि आजकल तो चालीस की उम्र के आसपास ही हृदय की मांसपेशियां सख्त होने लगती है। इससे पूरे शरीर में रक्त को पंप करना मुश्किल हो जाता है इसे डायस्टोलिक डिस्फंक्शन कहते हैं।
ऐसा तनाव में भी होता है और लगातार बैठे रहने के कारण भी। क्योंकि लगातार 1 घंटे बैठे रहने में 50 कैलोरी, खड़े रहने में 88 कैलोरी और पैदल चलने पर 200 से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है।
इसलिए पैदल चलने को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर ह्रदय को स्वस्थ और मजबूत रख सकते है।
शरीर के मेटाबॉलिज्म फंक्शन्स को रिपेयर करने के लिए उसे रोज ब्रेक की जरूरत होती है। ऐसे में उसे रोज रात में कम से कम 11 घंटे आराम देना जरूरी होता है। देर रात में स्नैक्स से बचना आवश्यक है क्योंकि इससे ब्लड फैट, शुगर बढ़ता है जो सीधे हार्ट की हेल्थ को प्रभावित करता है।
कोशिश करनी चाहिए कि शाम 7 बजे के बाद कुछ ना खाया जाए और पर्याप्त मात्रा में 7 से 8 घंटे नींद भी दिल को स्वस्थ व मजबूत रखने के लिए जरूरी होती है।
कई बार लोग काम की व्यस्तता या तनाव आदि के कारण खाने-पीने का पैटर्न बदल लेते हैं। नियमित समय की जगह देर से खाना और देर से सोना पड़ता है। इससे हार्ट सहित शरीर के अन्य अंगों की सकेंडियम रिदम बिगड़ जाती है।
अगर आप नियमित ज्यादा कैलोरी लेते हैं या कम सोते हैं तो ब्लड प्रेशर 10% तक बढ़ सकता है यह दिल के लिए बहुत ही हानिकारक संकेत होता है। इसलिए अपना नियमित भोजन समय पर ही करें यह स्वस्थ रहने और निरोगी जीवन के लिए आवश्यक होता है।
शरीर को निरोगी, Healthy heart और स्वस्थ रखने के लिए नियमित आधा से एक घंटा योग और व्यायाम अवश्य करना । रोजाना एरोबिक एक्सरसाइज करें जैसे ब्रिस्क वॉकिंग, साइकिल राइडिंग, स्विमिंग जंपिंग आदि।
इनसे हृदय मजबूत होगा, वजन नियंत्रित रहेगा, कोलेस्ट्रोल कम होगा व शरीर स्वस्थ और निरोगी रहेगा। अगर एक व्यस्क व्यक्ति हफ्ते में दो से तीन घंटे तक योग व व्यायाम करता है तो उसमें हार्ट अटैक का जोखिम 60% तक कम हो सकता है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जब भी पेशाब लगे तो उसे रोकना नहीं चाहिए तुरंत ही करना चाहिए। क्योंकि जब ब्लैडर पूरी तरह से भर जाता है तब हार्ट बीट्स बढ़ जाती है।
नसों में खिंचाव होता है व हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए बार-बार व समय पर यूरिनेट बहुत ही जरूरी होता है।
चुकंदर में नाइट्रेट्स होता है जो रक्त में नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है। यह रक्त वाहिकाओं को भी चौड़ा करता है। इसलिए नियमित डेढ़ सौ ग्राम चुकंदर का सेवन अवश्य करना चाहिए।
इसके अलावा अलसी में फाइबर, omega-3s और लिग्नास नामक एंटीऑक्सीडेंट प्लांट कंपाउंड पाया जाता है।
अलसी ब्लड शुगर और इंसुलिन घटाती है व इन्सुलिन सेंसटिविटी बढ़ाती है। इसलिए नियमित एक से दो चम्मच अलसी का सेवन जरूर करना चाहिए।
लो फैट युक्त खाद्य पदार्थों से डबल हेल्दी सेचुरेटेड फेट्स का स्रोत ड्राई फ्रूट्स होते हैं। इनमें विटामिन ई, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं जो हार्ट को हेल्दी रखने (Healthy heart) में बहुत ही सहायक होते हैं।
ह्रदय संबंधी समस्याएं होने के बाद अधिक मात्रा में कॉफी, चाय, सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स तथा अधिक गैस उत्पन्न करने वाले पदार्थ आदि का परहेज करना आवश्यक होता है क्योंकि इन सभी के अधिक सेवन से रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो हमारे दिल के लिए नुकसानदेह होता है।
दिल के रोगों से बचने के लिए कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए या बिलकुल ही अवॉइड कर सकते हैं तो और भी अच्छा रहेगा।
इस Diet for Heart patients का पालन करने से ना सिर्फ दिल के रोगों से बच सकते हैं बल्कि शरीर को स्वस्थ व अनेक बीमारियों से भी बचा सकते हैं।
दिल के रोगी को हमेशा पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करना लाभदायक होता है ऐसे रोगी को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए जिनके सेवन से गैस्टिक समस्याएं उत्पन्न होती हो क्योंकि गैस दिल के रोगी के लिए बहुत हानिकारक होती है। दिल के रोगी के लिए संतुलित आहार है जैसे
सुबह 6 बजे = दिल के मरीज को सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने जल में आधा नींबू का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए।
नींबू पानी से एक घंटा बाद एक गिलास मिलाई रहित दूध में चीनी या शक्कर डालकर पीना चाहिए। अगर ड्राई फ्रूट का इस्तेमाल करना चाहे तो दूध के साथ कर सकते हैं। नहीं तो कोई एक फ्रूट भी खा सकते हैं।
सुबह 9 बजे = सुबह 9 बजे के लगभग अंकुरित अनाज का सेवन करना लाभदायक होता है। और एक कटोरी दलिए का सेवन भी कर सकते है।
दोपहर 12 बजे = दोपहर के भोजन में चोकर युक्त दो चपाती, एक कटोरी छिलके वाली दाल, एक छोटी कटोरी चावल, हरी सब्जी, दही या छाछ और सलाद का सेवन करना चाहिए।
दोपहर 3 बजे = एक कप चाय और बिस्किट या मूंगफली आदि चाय के साथ खा सकते हैं।
शाम 6 बजे = कोई भी एक फल मौसम के अनुसार खा सकते हैं। जो आपको अच्छा लगता हो।
रात 8 बजे = रात का भोजन हल्का और आराम से पचने वाला होना चाहिए और भोजन से पहले सलाद व फल का सेवन करें उसके बाद आपके शरीर के सामर्थ्य अनुसार हल्का भोजन करें।
रात को सोने से पहले बिना मलाई वाला एक गिलास दूध का सेवन करना फायदेमंद होता है।
हार्ट के रोगी को पोषक तत्वों युक्त भोजन व सात्विक आहार का सेवन करना दिल को स्वस्थ बनाने में मददगार होता है। इसके अलावा कुछ मुख्य आहार है जैसे
चोकर युक्त अनाज जौ, गेहूं ज्वार, बाजरा आदि का सेवन करना चाहिए
हार्ट के रोगी को सेव व आंवले के मुरब्बे का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि इन्हें दिल के लिए अच्छा माना गया है। इसके अलावा लहसुन का भी नियमित सेवन करना उपयोगी होता है।
दालों में मूंग, अरहर, मसूर, सोयाबीन और मटर का सेवन करना चाहिए
दिल के रोगी को सब्जियों में लौकी, परवल, करेला, तोरई, टिंडों, टमाटर, पालक, ब्रोकली, हरा धनिया, मेथी, गाजर, लहसुन, शिमला मिर्च आदि का सेवन करना लाभदायक होता है।
फलों में सेव, स्ट्रॉबेरी, काला अंगूर, अमरूद, पपीता, नाशपाती, केला, आलूबुखारा, अनार आदि फलों का सेवन करना चाहिए
सूखे मेवों में अखरोट, चैरी, बादाम, अंजीर, ब्लूबेरी, क्रेनबेरी आदि का सेवन करना चाहिए
दिल के रोगी को ऐसे आहार का सेवन नहीं करना चाहिए जिनमें प्रोटीन और फैट अधिक मात्रा में पाए जाते हो और जो डाइजेशन में ज्यादा समय लेते हो जैसे
मैदा व चावल और इन से बनी हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
दाल में उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए
दिल के रोगी को सब्जियों में बैंगन, शकरकंद, कटहल, अरबी, बथुआ, चौलाई, सिंघाड़ा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
हार्ट के रोगी को समुंद्री नमक, पैकेट फूड, अंडा, फास्ट फूड, जंक फूड, ज्यादा मिर्च मसाले, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, मांसाहार, अल्कोहल, ज्यादा तेल या तैलीय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
हार्ट रोगियों को स्वस्थ रहने और दिल रोगों से बचने के लिए खानपान (Diet for Heart patients) के साथ अपनी दैनिक जीवन शैली में कुछ आवश्यक बदलाव अवश्य करने चाहिए जैसे
ध्यान, योग व प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं
नियमित 7 से 8 घंटे पर्याप्त नींद अवश्य लेनी चाहिए
अत्यधिक तनाव व चिंता से मुक्त रहना चाहिए
धूम्रपान अल्कोहल आदि नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
दिन और रात का भोजन समय पर करना चाहिए
भोजन करने के बाद नियमित कुछ कदम अवश्य चलना चाहिए
घर में बना ताजा भोजन व हल्का गर्म भोजन करना चाहिए
भोजन चबा चबा कर व धीरे-धीरे करें
सुबह जल्दी उठने को अपनी दिनचर्या में शामिल करें
हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होती है। शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं होते। सेकंड स्टेज में लक्षण आना शुरू होते हैं। शुरुआत में दिल की धड़कन का कम होना शुरू होता है। सेकंड या थर्ड स्टेज में हार्ट अटैक का दौरा भी पड़ सकता है। इसलिए इस स्टेज में इलाज की जरूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य भी कई लक्षण है। जैसे
बार बार सिर में दर्द होना, चक्कर आना बेहोशी होना, सांस का फूलना, अधिक पसीना आना, छाती में भारीपन व दर्द होना, चलने व सीढ़ियां चढ़ने पर सांस फूलना, थकान अधिक होना, गर्दन बाजू व पीठ में दर्द होना, कमजोरी व ठंड लगना नींद ज्यादा आना आदि।
इसका प्रयोग ह्रदय से जुड़ी बीमारियां जैसे कोलेस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी ब्लॉकेज, कोरोनरी आर्टरी डिजीज आदि के इलाज में अर्जुन की छाल का नियमित इस्तेमाल फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है और दिल को स्वस्थ रखने में सहायक है।
आयुर्वेद के अनुसार अर्जुन छाल का उपयोग हार्ट ब्लॉकेज में किया जा सकता है। इसकी छाल को पानी में उबालकर तुलसी व नींबू डालकर नियमित सेवन करना ह्रदय रोग में फायदा पहुंचाता है।
वैसे तो दालचीनी का उपयोग अनेक बीमारियों में किया जाता है लेकिन हार्ट ब्लॉकेज के उपचार के लिए यह एक बहुत ही कारगर औषधि है। यह खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है व ब्लड को पतला करके हृदय को मजबूती प्रदान करती है।
इसमें मौजूद ऑक्सिडाइजिंग तत्व हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। इसके नियमित इस्तेमाल करने से फेफड़ों को मजबूती मिलती है और दिल की बीमारियां कंट्रोल होती है।
अलसी के बीज रक्तचाप और सूजन को कम करने में आपकी मदद करते हैं। यह अल्फलिनोसेनिक एसिड का अच्छा स्रोत होता है। यह हृदय की धमनियों को नियमित साफ करने में सहायता करता है।
इसमें फाइबर भी अधिक मात्रा में पाया जाता है जोकि हमारे आमाशय और लीवर को शुद्ध रखने व पाचन तंत्र को मजबूत करने में हमारी मदद करता है।
यह रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करके रक्त परिसंचरण में सुधार करने में बहुत सहायता करता है। यह खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में भी सहायक होता है। वह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करने में सहायता करता है।
हृदय रोगों से बचाव के लिए सुबह उठते ही एक या दो लहसुन की कलियां चबाकर खाएं इसके अलावा ब्लॉकेज होने पर दो से तीन कली 150 ml से 200ml दूध में उबालें। जब दूध आधा बच्चे तो इसे रात को सोते समय पीकर सो जाएं। इसका नियमित प्रयोग करने से दिल की बीमारियों के खतरों से बचा जा सकता है। साथ ही यह प्रयोग लकवा पैरालाइसिस के उपचार में भी लाभदायक होता है।
यह दिल की बीमारियों से बचाव करने में बहुत लाभदायक है। हल्दी रक्त वाहिकाओं को खोलने में सहायक है। इसमें पाया जाने एंटीऑक्सीडेंट और anti-inflammatory गुण ब्लड को जमने से रोकने में भी बहुत सहायता करता है हल्दी खून साफ रखती है।
हृदय रोगों से बचने के लिए नियमित रात को सोते वक्त गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।
लौकी का जूस नियमित पीने से ब्लड में अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज भी खुल जाती है। हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए क्षारीय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। लौकी के जूस में तुलसी की पत्तियां, नींबू का रस, पुदीना व सेंधा नमक मिलाकर पीने से ह्रदय रोगी को बहुत लाभ पहुंचता है।
यह रक्तचाप व कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करता है। इसलिए लौकी के जूस का नियमित सेवन करना दिल की बीमारियों से बचाने में बहुत मददगार होता है।
हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने में पीपल के पत्ते बहुत लाभदायक होते हैं। ब्लॉकेज होने पर 5 से 6 पीपल के कोमल पत्ते, 5 से 6 तुलसी की पत्तियां लेकर 200 ml पानी में उबालें जब पानी आधा बचें तो छानकर ठंडा होने तक इंतजार करें। ठंडा होने के बाद इस जल का खाली पेट (सुबह उठते ही व दोपहर बाद) 7 दिन तक नियमित इस्तेमाल करते रहें। ये जल रोज तैयार करना है।
इसको पीने के बाद आधा घंटा तक कुछ भी न खाएं न पिएं। सात दिन गेप देने के बाद यही प्रक्रिया फिर दोहराएं। यह जल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और ब्लॉकेज भी खोलने में सहायता करता है। अतः हृदय के रोगी यह प्रयोग जरूर करें इससे उनको काफी लाभ होगा।
हृदय को मजबूत रखने और ब्लॉकेज से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक होता है।
दिल के रोगी को नियमित योग, व्यायाम, प्राणायाम आदि एक्टिविटी करनी चाहिए।
ह्रदय रोगियों को धूम्रपान, अत्यधिक अल्कोहल, अत्यधिक चाय कॉफी, फास्ट फूड, जंक फूड, तली चीजें, डिब्बाबंद खाद्य व पेय पदार्थ, मलाई, मक्खन, घी, चॉकलेट, आइसक्रीम, अत्यधिक फेट वाला दूध आदि चीजों का सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए। अगर हो सके तो इनका सेवन बंद कर दें और शरीर को स्वस्थ रखें एवं ह्रदय रोग से अपने आप को बचाएं।
हाई बीपी को नियंत्रित करने के लिए सही खानपान बहुत महत्वपूर्ण होता है। कुछ विशेष फूड आइटम ब्लड प्रेशर को संतुलित रखते हैं और हृदय को स्वस्थ बनाए रखते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं क्या खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।
✅ केला – हाइपरटेंशन को कम करने में मदद करता है। ✅ पालक – इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। ✅ शकरकंद – पोटैशियम से भरपूर, दिल के लिए फायदेमंद। ✅ टमाटर – इसमें लाइकोपीन होता है, जो हाई बीपी को कम करने में सहायक है।
✅ बाजरा और ओट्स – फाइबर से भरपूर, जिससे कोलेस्ट्रॉल और बीपी संतुलित रहता है। ✅ मूंग दाल – हल्की और सुपाच्य, बीपी नियंत्रित रखने में मदद करती है। ✅ चना और मसूर दाल – प्रोटीन और फाइबर के अच्छे स्रोत। ✅ अलसी के बीज (Flax Seeds) – ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो हृदय के लिए अच्छा होता है।
✅ अनार – एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, रक्त संचार बेहतर करता है। ✅ संतरा और नींबू – विटामिन C से हृदय स्वस्थ रहता है। ✅ पपीता – कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। ✅ तरबूज – पानी की उच्च मात्रा से शरीर हाइड्रेट रहता है। ✅ अमरूद – रक्तचाप को संतुलित करने में सहायक।
✅ मछली (सैल्मन, ट्यूना) – हृदय के लिए फायदेमंद। ✅ अखरोट और बादाम – कोलेस्ट्रॉल कम करता है और रक्त प्रवाह बेहतर करता है। ✅ चिया सीड्स – ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
✅ दूध और दही – कम वसा वाला दूध हड्डियों और रक्तचाप के लिए अच्छा होता है। ✅ पनीर (कम नमक वाला) – कैल्शियम का अच्छा स्रोत, लेकिन सीमित मात्रा में लें।
✅ ग्रीन टी – एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, बीपी नियंत्रित करने में सहायक। ✅ नारियल पानी – प्राकृतिक पोटैशियम का अच्छा स्रोत। ✅ बीटरूट जूस (चुकंदर का रस) – नाइट्रेट्स से भरपूर, रक्तचाप कम करने में मदद करता है। ✅ गुनगुना पानी और हर्बल ड्रिंक – शरीर को हाइड्रेट रखता है और रक्त प्रवाह को नियंत्रित करता है।
उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) को नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यायाम बहुत जरूरी होता है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है, हृदय को स्वस्थ रखता है, और तनाव को कम करता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि हाई बीपी में कौन-कौन से व्यायाम फायदेमंद होते हैं।
✅ तेज़ चलना (Brisk Walking) – रोज़ 40-50 मिनट तेज़ चाल से चलना, रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करता है। ✅ जॉगिंग या दौड़ना – यह हृदय को मजबूत करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है। ✅ साइकिल चलाना – पैरों की मांसपेशियों को सक्रिय करने के साथ-साथ हृदय को भी स्वस्थ रखता है। ✅ तैराकी (Swimming) – शरीर को फिट रखने के साथ ही रक्त संचार को बेहतर करता है।
✅ अनुलोम-विलोम – यह ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाकर रक्तचाप को नियंत्रित करता है। ✅ भ्रामरी प्राणायाम – मानसिक शांति और तनाव को कम करता है, जिससे बीपी नियंत्रित रहता है। ✅ बालासन (Child Pose) – शरीर को आराम देकर रक्तचाप संतुलित करता है। ✅ शवासन (Relaxation Pose) – हृदय गति को नियंत्रित करता है और गहरी सांस लेने में मदद करता है।
✅ हल्का वजन उठाना (Light Weight Training) – शरीर को मजबूत बनाए रखता है, लेकिन भारी वजन उठाने से बचें। ✅ स्क्वाट्स और लंजेस – रक्त संचार में सुधार करता है और हड्डियों को मजबूत करता है। ✅ पुशअप्स और प्लैंक – ये व्यायाम हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।
✅ नेक रोल और शोल्डर स्ट्रेच – शरीर को आराम देने और ब्लड फ्लो को बेहतर करने के लिए फायदेमंद। ✅ हिप ओपनर स्ट्रेच – पैरों और शरीर के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ाता है। ✅ हाथों और पैरों की स्ट्रेचिंग – रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए लाभदायक।
✅ माइंडफुलनेस मेडिटेशन – मानसिक तनाव को कम करता है, जो हाई बीपी का बड़ा कारण होता है। ✅ गहरी सांस लेने की तकनीक (Deep Breathing) – ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाकर रक्तचाप को कम करता है।
❌ भारी वजन उठाना (Heavy Lifting) – यह रक्तचाप को अचानक बढ़ा सकता है। ❌ तीव्र गति वाले व्यायाम (High-Intensity Workouts) – अगर अत्यधिक मेहनत वाले व्यायाम किए जाएँ तो बीपी बढ़ सकता है। ❌ दौड़ में अत्यधिक मेहनत (Sprint Running) – अत्यधिक तेज़ दौड़ से रक्तचाप अचानक बढ़ सकता है
उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) को आयुर्वेदिक तरीकों से प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। आयुर्वेद में विभिन्न जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली सुधार के द्वारा रक्तचाप को संतुलित रखने के उपाय बताए गए हैं।
✅ लहसुन (Garlic) – रोज़ाना 1-2 कच्चे लहसुन की कलियाँ चबाने से ब्लड प्रेशर कम होता है। ✅ तुलसी और नीम के पत्ते – सुबह खाली पेट 5-6 तुलसी और 2-3 नीम के पत्ते चबाने से लाभ मिलता है। ✅ मेथी के बीज (Fenugreek Seeds) – 1 चम्मच मेथी के बीज रातभर पानी में भिगोकर सुबह सेवन करें। ✅ अश्वगंधा (Ashwagandha) – तनाव कम करने में सहायक, जिससे बीपी नियंत्रित रहता है। ✅ त्रिफला (Triphala) – आंतों को साफ रखने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ✅ एलोवेरा जूस – रोज़ सुबह 1-2 चम्मच एलोवेरा जूस पीने से बीपी संतुलित होता है। ✅ गिलोय (Guduchi) – रक्त संचार को सुधारता है और हृदय को मजबूत करता है। ✅ दालचीनी (Cinnamon) – खाने में शामिल करने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।
🔹 सर्पगंधा (Rauwolfia Serpentina) – यह बीपी को नियंत्रित करने की प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है। 🔹 अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha Powder) – तनाव को कम कर रक्तचाप को संतुलित करता है। 🔹 लहसुन की टेबलेट्स – उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए लाभदायक। 🔹 ब्राह्मी वटी (Brahmi Vati) – मानसिक तनाव कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित करता है। 🔹 अर्जुन की छाल (Arjuna Bark) – हृदय के लिए बहुत फायदेमंद, बीपी को नियंत्रित रखता है। 🔹 पुनर्नवा चूर्ण (Punarnava Powder) – शरीर में अतिरिक्त पानी को बाहर निकालता है, जिससे बीपी नियंत्रित रहता है। 🔹 त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder) – आंतों को साफ रखता है और रक्त संचार में सुधार करता है। 🔹 गोक्षुर (Gokshura) – हृदय की सेहत को सुधारता है और रक्त संचार बेहतर करता है।
✅ नारियल पानी – पोटैशियम से भरपूर, जो बीपी को कम करता है। ✅ हरी सब्जियाँ – पालक, ब्रोकली, लौकी, मेथी। ✅ अनार और पपीता – ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में सहायक। ✅ चना, मसूर और मूंग दाल – प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत। ✅ अलसी और अखरोट – ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, हृदय के लिए लाभकारी।
✅ नियमित योग और प्राणायाम – अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, बालासन और शवासन करें। ✅ धूम्रपान और शराब से बचें – यह बीपी को असंतुलित कर सकते हैं। ✅ प्रतिदिन 7-9 घंटे की अच्छी नींद लें – नींद की कमी बीपी को बढ़ा सकती है। ✅ संतुलित आहार अपनाएँ – कम नमक और अधिक फाइबर युक्त आहार लें। ✅ रोज़ाना 40-60 मिनट पैदल चलें – नियमित वॉक से ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है।
🔹 रौवोल्फिया (Rauwolfia Serpentina) – यह सबसे लोकप्रिय होम्योपैथिक दवा है जो रक्तचाप को नियंत्रित करती है। 🔹 बेलाडोना (Belladonna) – अगर हाई बीपी के कारण सिरदर्द या चक्कर आता हो, तो यह उपयोगी हो सकती है। 🔹 आर्निका (Arnica) – हृदय को स्वस्थ रखने और ब्लड फ्लो सुधारने में मदद करती है। 🔹 ग्लोनाइन (Glonoinum) – अगर रक्तचाप अचानक बहुत अधिक बढ़ जाए तो यह मदद करती है। 🔹 नक्स वोमिका (Nux Vomica) – तनाव और अनियमित जीवनशैली से बढ़े बीपी को नियंत्रित करने में सहायक। 🔹 क्रेटेगस (Crataegus Oxyacantha) – दिल को मजबूत करती है और उच्च रक्तचाप में मददगार होती है। 🔹 वर्बास्कम (Verbascum) – हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाती है और ब्लड प्रेशर को संतुलित रखती है।
बीपी बढ़ने पर क्या महसूस होता है?
सिरदर्द, चक्कर आना, थकान और सीने में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।
बीपी हाई होने पर क्या तकलीफ होती है?
दिल, किडनी और मस्तिष्क पर अत्यधिक दबाव के कारण स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हमें कैसे पता चलेगा कि बीपी हाई है?
बीपी मापने पर इसका पता चलता है। लगातार 140/90 mm Hg से अधिक रहने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
बीपी को तुरंत कम करने के लिए क्या करें?
आराम करें, गहरी साँस लें और अगर स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बीपी कब खतरनाक होता है?
जब यह 180/120 mm Hg से ऊपर चला जाए तो यह खतरनाक स्थिति मानी जाती है।
बीपी को जड़ से खत्म कैसे करें?
स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का पालन कर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
बीपी बढ़ने का मुख्य कारण क्या होता है?
अधिक नमक का सेवन, तनाव, धूम्रपान और शारीरिक गतिविधि की कमी इसके मुख्य कारण हैं।
बिना दवा के बीपी कैसे कम करें?
योग, ध्यान, नियमित व्यायाम और सही आहार से बिना दवा के भी बीपी को कम किया जा सकता है।
बीपी बढ़ने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
फलों, सब्जियों और फाइबर युक्त आहार का सेवन करें। तैलीय और फैटी फूड्स से बचें।
हमारी पहल को आपके सहयोग की आवश्यकता है! आप नीचे दिए गए विकल्पों के माध्यम से हमें समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
Paytm, PhonePe, Google Pay हमारा UPI नंबर है: 9731764134
आपका छोटा सा योगदान भी हमें अपने उद्देश्यों को पूरा करने और समाज की सेवा करने में मदद करेगा। आपका सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Contact Us
Email: adityagupta200@gmail.com
Phone: 9731764134
Support Us(Paytm, PhonePe, Gpay) - 9731764134
Bhagwatiganj, Balrampur - 271201
Sector 11, Noida - 201301
© 2025 Amatya