हनुमान जन्मोत्सव भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भक्तों के बीच भक्ति और शक्ति का प्रतीक हैं। यह पर्व पूरे भारत में और विशेष रूप से हिंदू धर्मावलंबियों के बीच हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भगवान हनुमान को भगवान शिव का अवतार और रामभक्ति का चरम प्रतीक माना जाता है। उनकी भक्ति, शक्ति, और निस्वार्थ सेवा के कारण उन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में अत्यधिक सम्मानित किया गया है।
पूजा और अभिषेक: भगवान हनुमान की मूर्ति का जल और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है और उनके समक्ष धूप, दीप और फूल अर्पित किए जाते हैं।
सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ: इस दिन सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और रामचरितमानस का विशेष पाठ किया जाता है।
राम कथा का आयोजन: हनुमानजी को भगवान राम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है, इसलिए राम कथा का आयोजन होता है।
विशेष प्रसाद: भगवान हनुमान को बेसन के लड्डू और अन्य मिठाइयों का भोग लगाया जाता है और भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है।
झांकी और जुलूस: कई स्थानों पर भगवान हनुमान की झांकी और शोभायात्रा निकाली जाती है।
हनुमान जी का जन्म माता अंजनी और पिता केसरी के घर हुआ था। वे अपने माता-पिता की तपस्या और भगवान शिव की कृपा से उत्पन्न हुए। यह भी कहा जाता है कि उनके जन्म में वायु देवता (पवन देव) का विशेष योगदान था, इसलिए उन्हें पवनपुत्र कहा जाता है।
एक कथा के अनुसार, माता अंजनी ने भगवान शिव से ऐसा पुत्र मांगा था जो असाधारण शक्तियों और भक्ति से संपन्न हो। उनकी गहन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया। हनुमान जी को बचपन में ही अद्भुत बल, बुद्धि और साहस प्राप्त हुआ।
भगवान हनुमान के जन्म स्थान को लेकर कई पौराणिक कथाओं और मान्यताओं में विभिन्न स्थानों का उल्लेख मिलता है। यहाँ कुछ स्थानों का वर्णन किया गया है, जिन्हें हनुमान जी के जन्म स्थान के रूप में माना जाता है:
अंजना पर्वत, झारखंड यह स्थान झारखंड के गुमला जिले में स्थित है। इसे भगवान हनुमान की माता अंजनी के नाम पर "अंजना पर्वत" कहा जाता है और यह पौराणिक कथाओं के अनुसार उनका जन्म स्थान है।
हनुमान गढ़ी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश) अयोध्या में स्थित हनुमान गढ़ी को भी भगवान हनुमान के जन्म स्थानों में से एक माना जाता है। यहाँ हनुमान जी के बाल्यकाल की कई घटनाओं का उल्लेख मिलता है।
अंजनेरी पर्वत, नासिक (महाराष्ट्र) नासिक जिले के अंजनेरी पर्वत को भी भगवान हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ माता अंजनी ने भगवान शिव की तपस्या की थी।
किश्किंधा, कर्नाटक कर्नाटक में स्थित प्राचीन किश्किंधा क्षेत्र को हनुमान जी के बाल्यकाल की घटनाओं से जोड़ा जाता है। यहाँ भी कई स्थानों को उनके जन्म से संबंधित माना गया है।
पंपापुर, हम्पी (कर्नाटक) हम्पी में पंपापुर क्षेत्र को भी भगवान हनुमान के जन्म स्थान से जोड़ा जाता है। यहाँ उनके माता-पिता केसरी और अंजनी के निवास का वर्णन मिलता है।
भगवान शिव का अवतार: हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। उनकी भक्ति और शक्ति भगवान राम के प्रति अनन्य थी।
चिरंजीवी देवता: हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है। वह सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं, जो तब तक जीवित रहेंगे जब तक पृथ्वी पर जीवन है।
सूर्य को फल समझकर निगल लिया: बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को लाल रंग का फल समझकर निगलने की कोशिश की थी। उनकी इस लीला ने तीनों लोकों को अंधकारमय बना दिया था।
रामभक्ति का सर्वोच्च प्रतीक: हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान राम की सेवा में समर्पित किया और उनकी भक्ति की मिसाल दी।
शक्ति और बुद्धि का अद्भुत संगम: हनुमान जी ने अपनी शक्ति और बुद्धि से कई असंभव कार्य किए, जैसे लंका में सीता माता का पता लगाना, संजीवनी बूटी लाना, और राम सेतु का निर्माण।
पंचमुखी हनुमान: भगवान हनुमान के पंचमुखी रूप में पांच मुख हैं – हनुमान, नरसिंह, गरुड़, वराह, और हयग्रीव। यह रूप असुरों के नाश और भक्तों की रक्षा के लिए माना जाता है।
हनुमान चालीसा का महत्व: तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की भक्ति का प्रतीक है और इसे पाठ करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
गति के देवता: उन्हें "वायुपुत्र" कहा जाता है क्योंकि वे पवन देवता के पुत्र हैं। उनकी गति और ऊर्जा अद्वितीय मानी जाती है।
संजीवनी बूटी लाने की कथा: जब लक्ष्मण जी मूर्छित हुए, तो हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लेकर उनके जीवन की रक्षा की।
जैन धर्म में स्थान: जैन धर्म की मान्यताओं में भगवान हनुमान को उनके पूर्व जन्म में भगवान महावीर के रूप में माना गया है।
हनुमान जी का नाम: उनका नाम "हनुमान" इस तथ्य पर आधारित है कि उनके ठोड़ी (हन्) पर वज्र से चोट लगी थी।
अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ: हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का आशीर्वाद प्राप्त है, जो उन्हें अद्भुत शक्तियों से संपन्न बनाती हैं।
राम नाम के सबसे बड़े उपासक: हनुमान जी की भक्ति में भगवान राम का नाम सर्वोपरि है। वह हमेशा राम नाम का जाप करते रहते हैं।
लंका दहन: अपनी पूंछ में आग लगाकर उन्होंने रावण की लंका को जला दिया और अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।
अजर-अमर: हनुमान जी को देवताओं का वरदान प्राप्त है कि वे अजर-अमर रहेंगे और हर युग में मानवता की सहायता करेंगे।
सुग्रीव के मित्र: हनुमान जी ने भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता कराई और वनवास के दौरान भगवान राम का साथ दिया।
कृष्ण के साथ भक्ति: यह भी कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान हनुमान ने भगवान कृष्ण के साथ भक्ति की थी।
हनुमान जी का सीता माता से मिलना: अशोक वाटिका में सीता माता को भगवान राम की अंगूठी देकर उनकी खबर पहुंचाई।
महान शिक्षण: हनुमान जी को सबसे बड़ा शिक्षण यह था कि उनकी शक्तियाँ तब जागृत होती हैं जब उन्हें अपने गुरुओं और भगवान की याद दिलाई जाती है।
भगवान शनि का आशीर्वाद: भगवान शनि ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि वे उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे।
तुलसीदास का वरदान: तुलसीदास ने हनुमान जी की भक्ति से प्रेरित होकर रामचरितमानस की रचना की।
प्राचीन वैदिक देवता के रूप में सम्मान: हनुमान जी को "बजरंग बली" के रूप में पूजनीय माना जाता है।
शिव का वचन: भगवान शिव ने कहा था कि वे पृथ्वी पर राम के सबसे बड़े भक्त के रूप में जन्म लेंगे, और हनुमान जी के रूप में अवतरित हुए।
हनुमान जी और भगवद गीता: महाभारत में भी कहा गया है कि हनुमान जी अर्जुन के रथ पर ध्वज के रूप में मौजूद थे।
हनुमान जी और भक्तों के सपने: कहा जाता है कि हनुमान जी अपने सच्चे भक्तों के सपने में आकर उन्हें मार्गदर्शन देते हैं।
हनुमान जी की विशाल शक्ति: वे पर्वत को उखाड़कर ले जा सकते थे, जैसा कि संजीवनी बूटी के लिए किया गया था।
बाल ब्रह्मचारी: हनुमान जी ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसे अपनी शक्ति का आधार बनाया।
किशोरावस्था का तप: हनुमान जी ने किशोरावस्था में ही तप और ध्यान से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया।
संगीत के प्रेमी: हनुमान जी संगीत और भक्ति के गीतों के महान प्रेमी माने जाते हैं।
सबसे प्रिय मंत्र: भगवान हनुमान को सबसे अधिक प्रिय है "जय श्री राम" का उच्चारण, जो उनके प्रति भक्ति व्यक्त करता है।
हनुमानगढ़ी (अयोध्या, उत्तर प्रदेश) - भगवान राम की नगरी में स्थित यह मंदिर हनुमान जी के प्रति असीम भक्ति का केंद्र है।
संकट मोचन मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) - तुलसीदास जी द्वारा स्थापित यह मंदिर संकटों से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
हनुमान धारा (चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) - यहाँ हनुमान जी की मूर्ति के ऊपर से जलधारा बहती है।
महावीर मंदिर (पटना, बिहार) - यह मंदिर भगवान हनुमान की भक्ति का प्रमुख स्थल है।
पंचमुखी हनुमान मंदिर (रांची, झारखंड) - यहाँ हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा है।
सालासर बालाजी (राजस्थान) - चूरू जिले में स्थित यह मंदिर चमत्कारी माना जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी (राजस्थान) - यह मंदिर भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
दिल्ली हनुमान मंदिर (कनॉट प्लेस, दिल्ली) - ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है।
श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर (शिमला, हिमाचल प्रदेश) - यह मंदिर पहाड़ों की गोद में स्थित है।
हनुमान वाटिका (राउरकेला, ओडिशा) - यहाँ हनुमान जी की विशाल प्रतिमा है।
हम्पी हनुमान मंदिर (कर्नाटक) - विजयनगर साम्राज्य के खंडहरों में स्थित यह मंदिर प्राचीन है।
श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर (सारंगपुर, गुजरात) - यह मंदिर भक्तों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।
हनुमान मंदिर (अहमदाबाद, गुजरात) - यहाँ हनुमान जी की भव्य प्रतिमा है।
नीम करोली बाबा मंदिर (नैनीताल, उत्तराखंड) - यह मंदिर हनुमान जी के प्रति गहरी आस्था का केंद्र है।
हनुमान मंदिर (जोधपुर, राजस्थान) - यहाँ हनुमान जी की मूर्ति अद्वितीय है।
भगवान हनुमान जी को श्रद्धा और प्रेम से अर्पित किए जाने वाले भोग और वस्तुएं भक्तों के जीवन में सकारात्मकता लाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख अर्पण और उनके लाभ दिए गए हैं:
सिंदूर और चमेली का तेल लाभ: भगवान हनुमान को सिंदूर और चमेली के तेल से अभिषेक करने से कष्टों का निवारण होता है और समृद्धि आती है।
बेसन के लड्डू लाभ: हनुमान जी को बेसन के लड्डू अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
केला लाभ: भगवान हनुमान को केले अर्पित करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
गुड़ और चना लाभ: गुड़ और चना अर्पित करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है और कष्टों का नाश होता है।
नारियल लाभ: नारियल अर्पित करने से बाधाएं दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
पान और सुपारी लाभ: पान और सुपारी अर्पित करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
लाल फूल (गुलाब या गुड़हल) लाभ: लाल फूल अर्पित करने से शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
रामायण पाठ या सुंदरकांड का पाठ लाभ: यह पाठ हनुमान जी को अत्यधिक प्रिय है और इसे अर्पित करने से घर में शांति और समृद्धि आती है।
जल और तुलसी पत्र लाभ: जल और तुलसी पत्र अर्पित करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
खड़ी हल्दी लाभ: खड़ी हल्दी अर्पित करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
भगवान हनुमान की पूजा करते समय पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ उपरोक्त चीजों को अर्पित करना चाहिए। दीप जलाएं, भजन-कीर्तन करें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
ॐ हं हनुमते श्री रामदूताय नमः। लाभ: यह मंत्र भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसे जपने से आत्मबल, साहस और जीवन की बाधाओं का समाधान मिलता है।
ॐ ऐं भ्रीम हनुमते श्री रामदूताय नमः। लाभ: यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति और शक्ति प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से जपने से जीवन में सकारात्मकता और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
ॐ आंजनेयाय विद्महे, महाबलाय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्। लाभ: यह गायत्री मंत्र मन को शांत करता है और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है। इसे जपने से भक्तों को बुद्धि और बल की प्राप्ति होती है।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुज वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।। सकल गुण निधानं वानराणां अधीशम्। रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि।। लाभ: यह मंत्र भगवान हनुमान के अतुलित बल, भक्ति और ज्ञान को व्यक्त करता है। इसे जपने से भक्तों को आत्मविश्वास, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
ॐ हनुमते नमः महत्व: साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए।
ॐ श्री हनुमते नमः महत्व: सभी समस्याओं के समाधान हेतु।
ॐ रामदूताय नमः महत्व: भगवान राम की कृपा प्राप्त करने के लिए।
ॐ पवनपुत्राय नमः महत्व: मन को शांत और स्थिर रखने के लिए।
ॐ अंजनीसुताय नमः महत्व: सुरक्षा और सामर्थ्य प्रदान करने के लिए।
ॐ वज्रदेहाय नमः महत्व: भय और बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए।
ॐ संकटमोचनाय नमः महत्व: संकटों से मुक्ति के लिए।
ॐ महाबलाय नमः महत्व: शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त करने के लिए।
ॐ भगवते नमः महत्व: समृद्धि और शुभ फल के लिए।
ॐ हनुमद्रुद्राय नमः महत्व: असुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए।
ॐ मारुतात्मजाय नमः महत्व: मन की शुद्धि और ऊर्जा के लिए।
ॐ केसरीनंदनाय नमः महत्व: साहस और वीरता बढ़ाने के लिए।
ॐ कपिसेनाय नमः महत्व: नेतृत्व क्षमता और साहस को मजबूत करने के लिए।
ॐ हनुमत्सुताय नमः महत्व: आध्यात्मिक जागरूकता के लिए।
ॐ हनुमदवायुपुत्राय नमः महत्व: नकारात्मकता को दूर करने के लिए।
ॐ रामभक्ताय नमः महत्व: भक्तिमय जीवन के लिए।
ॐ आंजनेयाय नमः महत्व: जीवन में शांति और सद्भाव लाने के लिए।
ॐ श्रीरामदूताय नमः महत्व: भगवान राम की सेवा और शक्ति प्राप्त करने के लिए।
ॐ महावीराय नमः महत्व: शक्ति और पराक्रम के लिए।
ॐ श्री रामप्रियाय नमः महत्व: भगवान राम के प्रति भक्ति बढ़ाने के लिए।
ॐ हनुमानाय नमः महत्व: जीवन में विजय प्राप्ति के लिए।
ॐ ज्ञानगुणसागराय नमः महत्व: ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करने के लिए।
ॐ श्री सुदर्शनाय नमः महत्व: आत्मरक्षा और शक्ति के लिए।
ॐ रुद्रविराय नमः महत्व: साहसिक और निडर बनने के लिए।
ॐ लक्ष्मणप्राणदाताय नमः महत्व: मित्रों और परिवार की रक्षा के लिए।
ॐ पर्वतवासाय नमः महत्व: समस्याओं का हल पाने के लिए।
ॐ हनुमद्देवाय नमः महत्व: आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए।
ॐ रामकथालोलाय नमः महत्व: भगवान राम की कथा में प्रेम और भक्ति पाने के लिए।
ॐ चिरंजीवाय नमः महत्व: दीर्घायु और शुभ स्वास्थ्य के लिए।
ॐ हनुमद्आञ्जनेयाय नमः महत्व: आत्मिक विकास और ध्यान के लिए।
हनुमान जी के इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भक्तों को भय, रोग, और जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इन मंत्रों का जाप शुभ और फलदायी माना जाता है। मंत्रों का उच्चारण पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।
हनुमान जन्मोत्सव हमें निस्वार्थ सेवा, भक्ति और साहस का महत्व सिखाता है। भगवान हनुमान की भक्ति का अनुसरण करना हमारे जीवन में सकारात्मकता और शक्ति लाने का एक अद्भुत तरीका हो सकता है।।
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