धनतेरस को दीपावली महोत्सव की शुरुआत के रूप में माना जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। आइए विस्तार से जानें इस पावन दिन के विभिन्न पहलुओं के बारे में:
धनतेरस का पौराणिक महत्व समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा और आयुर्वेद का देवता माना जाता है। इस दिन से जुड़ी यह कथा बताती है कि कैसे इस दिन की पूजा से स्वास्थ्य, आयु, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के व्रत से जुड़ी एक प्रमुख कथा राजा हिमा के पुत्र की है। भविष्यवाणी थी कि उसकी मृत्यु विवाह के चौथे दिन सांप के काटने से होगी। उसकी पत्नी ने उसे इस संकट से बचाने के लिए धनतेरस की रात को जागकर सोने-चांदी के आभूषण सजाए और भगवान विष्णु की कथा सुनाई। यमराज सांप के रूप में आए, लेकिन सोने-चांदी की चकाचौंध और दीपों की रोशनी से भ्रमित हो गए और बिना कुछ किए लौट गए। तभी से इस दिन दीप जलाने और आभूषण खरीदने का रिवाज प्रचलित हुआ।
पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन उन्हें याद कर पूजा की जाती है, और इसे स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
धनतेरस पर कुछ विशेष वस्तुएँ खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन वस्तुओं की खरीद से घर में समृद्धि और शुभता का संचार होता है:
सोना और चांदी: सोने और चांदी के आभूषण खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।
बर्तन: इस दिन पीतल, तांबे, या स्टील के बर्तन खरीदने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है।
झाड़ू: झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह घर की नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक है।
लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ: दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए धनतेरस पर उनकी मूर्तियाँ खरीदना भी शुभ माना जाता है।
धनतेरस का दिन विशेष रूप से पूजा, खरीदारी और घर की सजावट से भरा होता है। इस दिन किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं:
घर की सफाई: इस दिन को स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है। घर, आंगन, और मुख्य द्वार को अच्छे से साफ करना चाहिए ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।
मिट्टी के दीपक जलाना: शाम के समय मुख्य द्वार पर और आंगन में दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजन स्थल की सजावट: देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें फूलों से सजाएं।
पारंपरिक मिठाइयाँ बनाना: इस दिन विशेष रूप से पारंपरिक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, जैसे लड्डू, बेसन की बर्फी, आदि।
धनतेरस पर विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं जो देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा प्राप्त करने के लिए होते हैं:
लक्ष्मी पूजा: शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और धन और समृद्धि की कामना करें। देवी लक्ष्मी के समक्ष दीप जलाएं और उनके प्रिय मंत्रों का जाप करें।
धन्वंतरि पूजा: भगवान धन्वंतरि की पूजा करें और स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करें। इस दिन स्वास्थ्य और चिकित्सा से जुड़े लोग विशेष पूजा करते हैं।
दीपदान: इस दिन दीप जलाकर घर और आंगन में रखें। यह घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का एक तरीका है।
भारत में कई प्रमुख मंदिर हैं जहाँ धनतेरस पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। इनमें कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं:
तिरुपति बालाजी मंदिर: भगवान विष्णु का यह मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है, जहाँ धनतेरस के दिन विशेष पूजा की जाती है।
महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर: इस मंदिर में धनतेरस और दीपावली के अवसर पर विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है।
विट्ठल मंदिर, पंढरपुर: महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर में भगवान विष्णु के विट्ठल रूप की पूजा धनतेरस पर की जाती है।
आजकल धनतेरस पर सोने, चांदी और अन्य धातु की वस्तुओं के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, गहने और घर की सजावट की वस्तुएँ भी खरीदी जाती हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन खरीदारी भी धनतेरस का एक प्रमुख हिस्सा बन चुकी है। कई लोग इस दिन नए घर, वाहन और अन्य मूल्यवान संपत्ति खरीदते हैं। साथ ही, नए बिजनेस की शुरुआत, निवेश और आर्थिक योजनाओं को भी इस दिन आरंभ करना शुभ माना जाता है।
धनतेरस के इस पावन पर्व पर आप अपने प्रियजनों को शुभकामनाएँ भेज सकते हैं। यहाँ कुछ शुभकामनाएँ हैं:
"धनतेरस की पावन बेला पर, आपके घर में आए खुशियों का मेला। हर कोई आपका सम्मान करे, धनतेरस का यह दिन आपको सुख-समृद्धि से भर दे।"
"धनतेरस का यह शुभ पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का प्रकाश लाए। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ!"
"धनतेरस की पावन बेला आपके जीवन में अपार खुशियाँ और धन-धान्य लाए। धनतेरस की ढेरों शुभकामनाएँ।"
"आपके घर में धन की वर्षा हो, जीवन में खुशियों की भरमार हो। धनतेरस के पावन अवसर पर आपको अनगिनत शुभकामनाएँ।"
भारत के विभिन्न हिस्सों में धनतेरस का उत्सव
उत्तर भारत में धनतेरस का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, और हरियाणा में इसे खूब धूमधाम से मनाया जाता है।
घरों की सफाई और सजावट: घरों में विशेष रूप से साफ-सफाई की जाती है और रंगोली बनाई जाती है। दरवाजे पर तोरण (माला) बांधे जाते हैं ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।
खरीदारी का विशेष महत्व: इस दिन बर्तन, सोना, चांदी, और अन्य धातुओं की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। लोग खासतौर पर सोने-चांदी के आभूषण और घरेलू उपयोग के बर्तन खरीदते हैं।
लक्ष्मी-गणेश पूजा: उत्तर भारत में धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और शाम को दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है।
दक्षिण भारत में धनतेरस को 'अष्टलक्ष्मी पूजा' के रूप में मनाया जाता है। यहाँ इसे दिवाली के प्रमुख त्योहार के रूप में नहीं माना जाता, लेकिन कुछ परिवार इसे अपने तरीके से मनाते हैं।
राजस्थान में धनतेरस का विशेष महत्व है। यहाँ इसे 'यमदीपदान' के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस का पर्व भारतीय संस्कृति में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी विशेष स्थान रखता है। धनतेरस पर किए गए अनुष्ठान और खरीदारी से घर में खुशियाँ और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।
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