अयोध्या, उत्तर प्रदेश के सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन और पवित्र नगर है। इसे हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है और इसे सप्त पुरियों (हिंदुओं के सात पवित्र तीर्थ स्थलों) में प्रथम स्थान प्राप्त है।

इतिहास

अयोध्या का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों जैसे कि रामायण, महाभारत और पुराणों में मिलता है। इसे पहले "साकेत" के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि इस नगर की स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी। यह सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही, जिनमें राजा दशरथ और भगवान राम जैसे महान शासक हुए।

धार्मिक महत्व

अयोध्या को "देवताओं का नगर" कहा जाता है। यहाँ राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी, कनक भवन, नागेश्वरनाथ मंदिर जैसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। यह स्थान रामायण और भगवान राम से जुड़े अनेक धार्मिक और पौराणिक घटनाओं का केंद्र है।

संस्कृति और परंपरा

अयोध्या न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी समृद्ध है। यहाँ हर साल राम नवमी और दीपोत्सव जैसे भव्य त्योहार मनाए जाते हैं, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

अयोध्या का नाम संस्कृत शब्द "अयोध्या" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "अजेय"। यह नगर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी है।

अयोध्या में राम मंदिर का सफर "तंबू से भव्य मंदिर" तक एक ऐतिहासिक और संघर्षपूर्ण यात्रा रही है। यहाँ इस यात्रा का विवरण दिया गया है:

क्षेत्र और संरचना

  • क्षेत्रफल: राम मंदिर का निर्माण लगभग 2.77 एकड़ भूमि पर किया गया है। यह मंदिर परिसर 70 एकड़ में फैला हुआ है।

  • वास्तुकला: नागर शैली में निर्मित यह मंदिर तीन मंजिला है। इसमें 160 खंभे हैं, जो भारतीय शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण हैं। मंदिर की ऊंचाई लगभग 161 फीट है।

इतिहास

  • प्राचीन काल: रामायण के अनुसार, यह स्थान भगवान राम का जन्मस्थान है। यहाँ पहले एक भव्य मंदिर था, जिसे 16वीं शताब्दी में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया।

  • मध्यकाल: इस स्थान को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद चलता रहा। 1949 में रामलला की मूर्ति यहाँ स्थापित की गई, जिसके बाद यह स्थान विवाद का केंद्र बन गया।

संघर्ष

  • आंदोलन की शुरुआत: 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू किया। 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, जिससे देशभर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा।

  • कानूनी लड़ाई: यह मामला दशकों तक अदालतों में चला। 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पक्ष को सौंपने का फैसला सुनाया।

भव्य मंदिर का निर्माण

  • भूमिपूजन: 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया।

  • प्राणप्रतिष्ठा: 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया।

  • वर्तमान स्थिति: मंदिर अब श्रद्धालुओं के लिए खुला है और यह भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक बन चुका है।

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से स्थानीय लोगों और वैश्विक बाजार पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। यहाँ इसका विवरण दिया गया है:

स्थानीय लोगों को लाभ

  1. रोजगार के अवसर:

    • मंदिर निर्माण और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए। निर्माण कार्य, होटल, रेस्टोरेंट, और परिवहन सेवाओं में बड़ी संख्या में लोग रोजगार पा रहे हैं।

    • स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को मंदिर निर्माण में अपनी कला दिखाने का मौका मिला।

  2. पर्यटन में वृद्धि:

    • राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इससे स्थानीय व्यवसाय जैसे होटल, गेस्ट हाउस, और हस्तशिल्प की दुकानों को बड़ा लाभ हुआ है।

    • स्थानीय व्यंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी बढ़ावा मिला है।

  3. इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास:

    • मंदिर के आसपास सड़कें, परिवहन सुविधाएँ, और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, जिससे स्थानीय निवासियों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है।

वैश्विक बाजार पर प्रभाव

  1. धार्मिक पर्यटन का विस्तार:

    • अयोध्या अब वैश्विक धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन गया है। विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या से भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ हो रहा है।

    • पर्यटन से जुड़े उद्योग जैसे एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंसी, और होटल चेन को भी फायदा हुआ है।

  2. आर्थिक विकास:

    • एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर और उससे जुड़े पर्यटन से उत्तर प्रदेश के कर राजस्व में 20,000-25,000 करोड़ रुपये तक की वृद्धि होने की संभावना है।

    • वैश्विक निवेशकों ने अयोध्या में होटल, रेस्टोरेंट और अन्य सुविधाओं में निवेश करना शुरू कर दिया है।

  3. भारतीय संस्कृति का प्रचार:

    • राम मंदिर ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है। यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने में सहायक है।

रामलला को 22 दिसंबर 1949 को बाबरी मस्जिद के गर्भगृह में स्थापित किया गया था। इसके बाद, विवादित स्थल पर ताला लगा दिया गया और रामलला की पूजा केवल पुजारी द्वारा की जाती थी। 1986 में फैजाबाद के जिला न्यायाधीश ने ताला खोलने का आदेश दिया, जिससे आम जनता को भी दर्शन की अनुमति मिली।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, रामलला को अस्थायी तंबू में स्थापित किया गया। इस तंबू में रामलला की पूजा और दर्शन का कार्य चलता रहा। 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन के बाद, राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 22 जनवरी 2024 को रामलला को नए मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया।

इस प्रकार, रामलला लगभग 31 वर्षों तक तंबू में विराजमान रहे।

  1. कुश का निर्माण: भगवान राम के पुत्र कुश ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया था। यह मंदिर भगवान राम के जल समाधि लेने के बाद बनाया गया था।

  2. सम्राट विक्रमादित्य: ईसा के लगभग 100 वर्ष पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर में काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभ थे और इसमें अद्भुत राममूर्ति स्थापित की गई थी।

  3. पुष्यमित्र शुंग: शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग ने भी इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

राम मंदिर निर्माण में कार सेवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। कार सेवक वे भक्त थे जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया।

प्रमुख कार सेवक

  1. कामेश्वर चौपाल: कामेश्वर चौपाल को "प्रथम कार सेवक" का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। वे विहिप (VHP) के संयुक्त सचिव थे और बाद में राजनीति में सक्रिय हो गए।

  2. अतुल अवस्थी: अतुल अवस्थी ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने निहत्थे कार सेवकों पर गोली चलते हुए देखा और घायल साथियों को लखनऊ तक लाकर उनका इलाज कराया।

  3. सुरेंद्र शर्मा: सुरेंद्र शर्मा ने भूखे कार सेवकों के लिए भोजन, पानी, चाय और नाश्ता की व्यवस्था की। उन्होंने पुलिस के द्वारा गिरफ्तार भी हुए और प्रताड़ना भी झेली, लेकिन हार नहीं मानी।

राम मंदिर का इतिहास

राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में राम जन्मभूमि पर किया गया है, जिसे भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। इस स्थान पर पहले बाबरी मस्जिद थी, जिसे 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था। 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को हिंदुओं को मंदिर निर्माण के लिए देने का फैसला किया। मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को हुआ।

दर्शन और आरती के समय

राम मंदिर में दर्शन का समय सुबह 7:00 बजे से 11:30 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक है। आरती के समय निम्नलिखित हैं:

  • जागरण/शृंगार आरती: सुबह 6:30 बजे

  • भोग आरती: दोपहर 12 बजे

  • संध्या आरती: शाम 7:30 बजे

वास्तु कला

राम मंदिर की वास्तुकला नागरा शैली में बनाई गई है। मंदिर का डिज़ाइन अहमदाबाद के संपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया है। मंदिर में कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं, और यह तीन मंजिला है।

निर्माण की प्रक्रिया

  1. भूमि पूजन: 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया।

  2. नींव का निर्माण: मंदिर की नींव को बनाने में 2587 जगहों की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया।

  3. प्रथम तल: प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा किया गया।

  4. शिखर का निर्माण: शिखर का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और अप्रैल 2025 में ध्वज दंड लगाया जाएगा।

  5. मूर्तियों का निर्माण: मंदिर की दीवारों और पिलर्स पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।

सुविधाएं

  1. प्रवेश द्वार: मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।

  2. रैम्प और लिफ्ट: दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था है।

  3. परकोटा: मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है।

  4. अन्य मंदिर: परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है।

  5. सीताकूप: मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।

  6. हरित क्षेत्र: मंदिर के 70 एकड़ क्षेत्र में से 70 प्रतिशत क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहेगा।

राम मंत्र

भगवान राम के मंत्रों का जाप करने से मनचाही कामना पूरी होती है। कुछ प्रमुख राम मंत्र निम्नलिखित हैं:

  1. शक्तिशाली राम मंत्र:

    रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे
    रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः
  2. धन-संपदा के लिए राम मंत्र:

    ॐ क्लीं नमो भगवते रामचन्द्राय सकलजन वश्यकराय स्वाह:
  3. श्री राम गायत्री मंत्र:

    ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥

     , 

    श्री राम स्तुति

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हनुमान गढ़ी का इतिहास

हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित है और भगवान हनुमान को समर्पित है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में अवध के नवाब शुजाउद्दौला द्वारा कराया गया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो हनुमान जी यहां रहने लगे और रामकोट की रक्षा करने लगे। इसीलिए इसे हनुमानगढ़ या हनुमान कोट कहा जाता है।

दर्शन और आरती के समय

हनुमान गढ़ी मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक है। आरती के समय निम्नलिखित हैं:

  • मंगला आरती: सुबह 5:30 बजे

  • श्रृंगार आरती: सुबह 8:00 बजे

  • भोग आरती: दोपहर 12:00 बजे

  • संध्या आरती: शाम 7:00 बजे

  • शयन आरती: रात 9:00 बजे

महत्व

हनुमान गढ़ी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह माना जाता है कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले हनुमान गढ़ी में माथा टेकना चाहिए। यह मंदिर भगवान हनुमान की असीम शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में महाराज विक्रमादित्य द्वारा करवाया गया था। बाद में, 18वीं शताब्दी में अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और हनुमान जी के लिए 52 बीघा जमीन दान की। 

वास्तु कला

हनुमान गढ़ी की वास्तुकला अद्वितीय है। यह मंदिर एक किले के आकार में निर्मित है और इसमें 76 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। मंदिर के प्रत्येक कोने में गोलाकार किलेबंदी है। मुख्य मंदिर में भगवान हनुमान की एक सुनहरी मूर्ति है, जो माता अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। मंदिर का आंतरिक हिस्सा भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है और यहां की आभा भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है।

श्री हनुमान चालीसा

( १ )

प्रातः स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यं श्रीरामचन्द्रचरणाम्बुजचञ्चरीकम्। लङ्कापुरीदहननन्दितदेववृन्दं सर्वार्थसिद्धिसदनं प्रथितप्रभावम्॥

यह मंत्र श्री हनुमान जी का प्रातःकालीन स्मरण है, जो उनकी असीम शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप करने से दिन की शुरुआत शुभ होती है और सभी कार्य सफल होते हैं।

( २ )

मध्याह्न स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यं
श्रीरामचन्द्रचरणाम्बुजचञ्चरीकम्।
लङ्कापुरीदहननन्दितदेववृन्दं
सर्वार्थसिद्धिसदनं प्रथितप्रभावम्॥

दोपहर के समय श्री हनुमान जी का स्मरण करने से दिन के मध्य में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। दोपहर के समय निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है:

( ३ )

सायं स्मरामि हनुमन्तमनन्तवीर्यं
श्रीरामचन्द्रचरणाम्बुजचञ्चरीकम्।
लङ्कापुरीदहननन्दितदेववृन्दं
सर्वार्थसिद्धिसदनं प्रथितप्रभावम्॥

सायंकाल में श्री हनुमान जी का स्मरण करने से रात की सुरक्षा और शांति प्राप्त होती है। सायंकाल में निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है:

हनुमान मंत्र

  1. हनुमान गायत्री मंत्र:

    ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
    तन्नो हनुमान: प्रचोदयात्॥
  2. हनुमान बीज मंत्र:

    ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:॥
  3. हनुमान स्तुति मंत्र:

    अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्।
    दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्॥
    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्।
    रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
  4. हनुमान चालीसा का आरंभिक मंत्र:

    श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
    बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
  5. हनुमान अष्टक मंत्र:

    ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय।
    प्रकट पराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटि समप्रभाय रामदूताय स्वाहा॥
  6. हनुमान रक्षा मंत्र:

    ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्॥
  7. हनुमान संकटमोचन मंत्र:

    ॐ श्री हनुमते नमः॥
  8. हनुमान ध्यान मंत्र:

    मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
  9. हनुमान आराधना मंत्र:

    ॐ हनुमते नमः हनुमानाय महाबलाय स्वाहा॥
  10. हनुमान सिद्धि मंत्र:

ॐ हनुमते नमः हनुमानाय महाबलाय स्वाहा॥

नागेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास

नागेश्वरनाथ मंदिर अयोध्या में स्थित एक प्रमुख शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश ने किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, जब कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे, तो उनका बाजूबंद खो गया था। इसे एक नाग कन्या ने पाया और वह कुश से प्रेम करने लगी। चूंकि वह शिव भक्त थी, कुश ने उसके लिए नागेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण किया। यह मंदिर विक्रमादित्य के समय तक सुरक्षित रहा, जबकि बाकी शहर खंडहर में तब्दील हो चुका था। 1750 में सफदर जंग के मंत्री नवल राय द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था।

महत्व

नागेश्वरनाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह मंदिर भगवान शिव की पूजा का प्रमुख केंद्र है और महाशिवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा और उत्सव होते हैं। प्रदोष व्रत के समय भी यहां भक्तों की भीड़ रहती है। शिव बारात या भगवान शिव की बारात यहां एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। यह मंदिर अयोध्या के प्रमुख आस्था केन्द्रों में से एक है जहाँ स्थानीय लोग और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।

दर्शन और आरती के समय

नागेश्वरनाथ मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक है। आरती के समय निम्नलिखित हैं:

  • प्रातःकाल आरती: सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक

  • सायंकाल आरती: रात 8:00 बजे से 8:30 बजे तक

वास्तु कला

नागेश्वरनाथ मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। मंदिर की संरचना अर्ध-दिव्य नागों को भगवान शिव की पूजा करते हुए दिखाती है। मंदिर का आंतरिक हिस्सा भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है और यहां की आभा भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है।

कनक भवन अयोध्या में राम जन्म भूमि, रामकोट के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह मंदिर भगवान राम और देवी सीता को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यह भवन भगवान श्री राम जी से विवाह के तुरंत बाद महारानी कैकेयी जी द्वारा देवी सीता जी को उपहार में दिया गया था। यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है।

निर्माण और पुनर्निर्माण

कनक भवन का निर्माण त्रेता युग में भगवान राम के पुत्र कुश द्वारा किया गया था। इसके बाद द्वापर युग में राजा ऋषभ देव द्वारा पुनः बनवाया गया और श्रीकृष्ण द्वारा भी कलि युग के पूर्व काल में इसका पुनर्निर्माण किया गया। वर्तमान युग में इसे सबसे पहले चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा युधिष्ठिर काल में बनवाया गया। तत्पश्चात इसका समुद्रगुप्त द्वारा पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर को नवाब सालारजंग-द्वितीय गाज़ी द्वारा नष्ट किया गया और इसका पुनरोद्धार बुंदेला राजपूत ओरछा व बुंदेलखंड के टीकमगढ़ के महाराजा महाराजा श्री प्रताप सिंह जू देव, बुंदेला एवं उनकी पत्नी महारानी वृषभान कुंवारी द्वारा 1891 में करवाया गया।

महत्व

कनक भवन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह मंदिर भगवान राम और देवी सीता की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दीपावली, रामनवमी और अन्य धार्मिक त्यौहारों पर बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं, और ऐसे प्रमुख अवसर पर यहाँ सामूहिक भजन-कीर्तन भी किया जाता है।

दर्शन और आरती के समय

कनक भवन में दर्शन का समय निम्नलिखित है:

  • सुबह की आरती: 8:00 बजे

  • सुबह दर्शन का समय: 8:00 बजे से 11:30 बजे तक

  • दोपहर की आरती: 11:30 बजे

  • शाम के दर्शन का समय: 4:30 बजे से 6:30 बजे तक

  • शाम की आरती: 7:00 बजे

  • रात्रि के दर्शन का समय: 7:00 बजे से 8:30 बजे तक

  • रात्रि की आरती: 9:00 बजे

वास्तु कला

कनक भवन की वास्तुकला अद्वितीय है। यह मंदिर एक विशाल महल के रूप में अभिकल्पित किया गया है। इस मंदिर का स्थापत्य राजस्थान व बुंदेलखंड के सुंदर महलों से मिलता जुलता है। मुख्य गर्भगृह में भगवान राम और देवी सीता की सोने की मूर्ति स्थापित है, जो भवन की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हैं।

दशरथ महल अयोध्या में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह महल त्रेता युग में चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ द्वारा बनवाया गया था। यह वही स्थान है जहाँ भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न अपने बचपन के दिनों में खेले और बड़े हुए। महल का पुनर्निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था और बाद में 300 वर्ष पूर्व बाबा रामप्रसाद आचार्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया।

महत्व

दशरथ महल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह महल भगवान राम के जीवन और उनकी लीलाओं का साक्षी है। यहाँ भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह स्थल एक सिद्ध पीठ माना जाता है और यहाँ आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। राम विवाह, दीपावली, श्रावण मेला, चैत्र रामनवमी और कार्तिक मेला जैसे प्रमुख त्यौहार यहाँ विशेष उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

दर्शन और आरती के समय

दशरथ महल में दर्शन का समय निम्नलिखित है:

  • सुबह के दर्शन: 8:00 बजे से 12:00 बजे तक

  • शाम के दर्शन: 4:00 बजे से 10:00 बजे तक

आरती के समय:

  • सुबह की आरती: 6:00 बजे से 7:00 बजे तक

  • रात की आरती: 9:00 बजे से 10:00 बजे तक

वास्तु कला

दशरथ महल की वास्तुकला अद्वितीय है। यह महल एक विशाल परिसर में स्थित है और इसमें भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की सुंदर प्रतिमाएं हैं। महल का आंतरिक हिस्सा भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है और यहाँ की आभा भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है।

खरीदारी के लिए प्रमुख वस्तुएं

अयोध्या में खरीदारी का अनुभव अद्वितीय है। यहाँ की स्थानीय बाजारों में धार्मिक और सांस्कृतिक वस्तुएं मिलती हैं। कुछ प्रमुख वस्तुएं जो आप खरीद सकते हैं:

  1. राम दरबार की मूर्तियाँ: भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की सुंदर मूर्तियाँ।

  2. अयोध्या सिल्क साड़ियाँ: पारंपरिक भारतीय परिधान के रूप में अयोध्या की सिल्क साड़ियाँ।

  3. हस्तनिर्मित लकड़ी के खिलौने: स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए लकड़ी के खिलौने।

  4. धार्मिक पुस्तकें और शास्त्र: रामायण, महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथ।

  5. अयोध्या-थीम वाली आभूषण: मंदिरों की प्रेरणा से बने सुंदर आभूषण।

  6. हस्तनिर्मित अगरबत्तियाँ और तेल: पूजा के लिए विशेष अगरबत्तियाँ और सुगंधित तेल।

  7. पारंपरिक आयुर्वेदिक उत्पाद: आयुर्वेदिक दवाएं और उत्पाद।

खाने की चीजें

अयोध्या में खाने का अनुभव भी अद्वितीय है। यहाँ की स्थानीय व्यंजन और मिठाइयाँ बहुत प्रसिद्ध हैं। कुछ प्रमुख खाने की चीजें जो आप अयोध्या में ट्राई कर सकते हैं:

  1. पानी के बताशे (गोलगप्पे): मसालेदार पानी के साथ खाए जाने वाले गोलगप्पे।

  2. कचौड़ी: मसालेदार भरावन के साथ तली हुई कचौड़ी।

  3. लस्सी: ताजगी भरी मीठी लस्सी।

  4. मालपुआ: मीठा और तला हुआ मालपुआ।

  5. पेड़ा: दूध से बनी मिठाई।

  6. आलू टिक्की: मसालेदार आलू की टिक्की।

  7. चाट: विभिन्न प्रकार की चाट जैसे पापड़ी चाट, दही भल्ला आदि।

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