अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। यह तिथि हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है। इस दिन को "अक्षय" अर्थात "अक्षय संपदा" का प्रतीक माना जाता है। हिंदू और जैन धर्म में इसका विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, धार्मिक अनुष्ठानों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया के महत्व का उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में मिलता है। इसे भगवान विष्णु के "अक्षय" स्वरूप और उनकी कृपा से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह दिन कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं से संबंधित है:
महाभारत में अक्षय पात्र: कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान सूर्य ने पांडवों को "अक्षय पात्र" प्रदान किया था, जो हमेशा अन्न से भरा रहता था।
गंगा अवतरण: इस दिन माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं।
परशुराम जयंती: अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं।
त्रेता युग का आरंभ: इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी।
कुबेर को धनपति का पद: भगवान कुबेर को इस दिन धनपति का पद प्राप्त हुआ था और माता लक्ष्मी की कृपा से उन्होंने असीम संपदा प्राप्त की।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
गंगा जल और पंचामृत से भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें।
फूल, अक्षत (चावल), नारियल, और धनिया अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम और श्रीसूक्त का पाठ करें।
अक्षय तृतीया पर व्रत रखना और फलाहार करना शुभ माना जाता है। इसे मानसिक और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को धन, अन्न, वस्त्र और स्वर्ण का दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
जल दान करें।
मंदिर में पूजा सामग्री और गौ दान करें।
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन खरीदी गई संपत्ति और सोना "अक्षय" होता है।
परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए विशेष हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
भगवान विष्णु और परशुराम जी की कथाओं का श्रवण किया जाता है।
महाभारत काल में पांडवों के वनवास के दौरान, द्रौपदी को अन्न की कमी का सामना करना पड़ा। वह भगवान कृष्ण से अपनी चिंता साझा करती हैं। भगवान कृष्ण पांडवों के साथ सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें "अक्षय पात्र" प्रदान करते हैं।
यह पात्र विशेष था क्योंकि इसमें अन्न और भोजन कभी समाप्त नहीं होता था।
इस पात्र ने पांडवों को वनवास के दौरान हमेशा भूख और कठिनाई से बचाए रखा। यह कथा बताती है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान से प्राप्त वस्तुएं कभी समाप्त नहीं होतीं और यह दिन अनंत कृपा का प्रतीक है।
अक्षय तृतीया के दिन ही माँ गंगा का धरती पर अवतरण हुआ।
राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, माँ गंगा ने स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित होने का निर्णय लिया।
गंगा का अवतरण भगवान शिव की जटाओं के माध्यम से हुआ ताकि उनकी शक्ति को नियंत्रित किया जा सके। यह कथा धरती पर जीवन और पवित्रता का प्रतीक है। माँ गंगा आज भी पवित्र नदी मानी जाती है, जो मानवता को शुद्ध करती है।
अक्षय तृतीया को भगवान कुबेर ने अपनी तपस्या के माध्यम से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस आशीर्वाद के कारण कुबेर को "धन के देवता" का पद प्राप्त हुआ।
इस दिन धन और संपत्ति खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन चिरस्थायी होता है। यह कथा हमें सिखाती है कि मेहनत और भक्ति से ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
नर-नारायण, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, ने बद्रीनाथ क्षेत्र में कठोर तपस्या की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही की थी।
उनकी तपस्या का उद्देश्य पृथ्वी पर धर्म और सत्य की स्थापना करना था।
बद्रीनाथ धाम आज भी नर-नारायण की तपस्या का प्रतीक है। यह कथा हमें तप और भक्ति का महत्व सिखाती है।
अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।
परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, जिनका उद्देश्य अधर्म और अन्याय का नाश करना था।
उन्होंने क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त कर धर्म की स्थापना की। परशुराम जयंती के रूप में इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की शुरुआत की।
वेदव्यास ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए भगवान गणेश से सहायता मांगी।
भगवान गणेश ने उनकी शर्त मानी कि वे लिखने के लिए तब तक रुकेंगे नहीं, जब तक वेदव्यास कथा को रुकावट के बिना सुनाते रहेंगे। यह घटना अक्षय तृतीया के ऐतिहासिक महत्व को और भी बड़ा बनाती है।
जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने अपनी एक वर्ष की कठोर तपस्या अक्षय तृतीया के दिन समाप्त की।
तपस्या के बाद उन्होंने गन्ने के रस से अपना उपवास तोड़ा।
इस दिन जैन धर्म के अनुयायी बड़े हर्षोल्लास से इस घटना को मनाते हैं। यह कथा तप और त्याग का महत्व समझाती है।
अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन किए गए कार्य और उपाय जीवन में सुख, समृद्धि, और पवित्रता लाने में सहायक होते हैं। यह दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और अन्य देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष होता है। यहाँ अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले प्रमुख उपाय दिए गए हैं:
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें: अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में धन, सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें: भगवान विष्णु के 1000 नामों का पाठ करने से पापों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
पंचामृत से अभिषेक करें: भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराकर पूजा करें।
जलदान करें: अक्षय तृतीया पर जरूरतमंदों को जल से भरे घड़े का दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
अन्नदान और वस्त्रदान करें: गरीब और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।
गौदान करें: इस दिन गाय का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
सोना और चांदी का दान: इस दिन स्वर्ण और रजत का दान करना समृद्धि और धन वृद्धि का प्रतीक है।
वृक्षारोपण करें: अक्षय तृतीया पर पेड़-पौधे लगाना पर्यावरण और जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत शुभ होता है।
दीप प्रज्वलित करें: घर में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
स्वच्छता अभियान: अपने घर और आस-पास की सफाई करके सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करें।
सोना खरीदें: अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
नए व्यापार की शुरुआत करें: इस दिन नए व्यापार या किसी नए कार्य का आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
धन प्राप्ति का मंत्र जपें: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा का जाप करें।
जप और ध्यान करें: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के नामों का जाप और ध्यान करें।
पवित्र कथाएँ सुनें: अक्षय पात्र, गंगा अवतरण, और परशुराम की कथाओं का श्रवण करें।
व्रत रखें: अक्षय तृतीया पर व्रत रखकर अपने मन और आत्मा की शुद्धि करें।
जल बचाने का संकल्प लें: अक्षय तृतीया पर जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाएँ और जल बचाने का संकल्प लें।
प्लास्टिक मुक्त अभियान: प्लास्टिक का उपयोग कम करने और बायोडिग्रेडेबल उत्पाद अपनाने का प्रयास करें।
तुलसी के पौधे की पूजा करें: इस दिन तुलसी को जल अर्पित करें और परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
भगवान बालाजी को प्रसाद चढ़ाएँ: भगवान बालाजी को बेसन के लड्डू या बूंदी चढ़ाने से संतान सुख प्राप्त होता है।
गंगा स्नान करें: यदि संभव हो, तो अक्षय तृतीया पर गंगा नदी में स्नान करें और भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करें।
सत्संग और भजन-कीर्तन: धार्मिक आयोजन में भाग लेकर भगवान की भक्ति में समय बिताएँ।
अक्षय तृतीया, जिसे अत्यंत शुभ दिन माना जाता है, पर किए गए कार्य और उपाय जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में सहायक होते हैं। यह दिन धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ 20 प्रमुख उपाय और उनके लाभ दिए गए हैं:
लाभ: परिवार में सुख, समृद्धि और धन का आगमन होता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसाद अर्पित करें और गंगाजल से उनकी मूर्ति का अभिषेक करें।
लाभ: मानसिक शांति और आत्मा की शुद्धि होती है।
भगवान विष्णु के 1000 नामों का जाप करें।
लाभ: भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
लाभ: घर में अन्न और समृद्धि का अभाव नहीं होता।
गरीब और जरूरतमंदों को अन्न का दान करें।
लाभ: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन आता है।
जरूरतमंदों को पानी से भरे घड़े का दान करें।
लाभ: इस दिन गाय का दान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति होती है।
धार्मिक स्थानों पर गाय दान करें।
लाभ: खरीदी गई संपत्ति और स्वर्ण "अक्षय" रहता है।
सोने-चांदी का खरीदना धन वृद्धि का प्रतीक है।
लाभ: दान किए गए वस्त्र व्यक्ति के पापों का नाश करते हैं।
जरूरतमंदों को नए वस्त्रों का दान करें।
लाभ: घर में सुख-शांति बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और दीपक जलाएँ।
लाभ: आत्मा की शुद्धि और मन की शांति प्राप्त होती है।
भगवान विष्णु या लक्ष्मी जी का ध्यान करें और उनका जप करें।
लाभ: पौराणिक कथाएँ सुनने से व्यक्ति के मन में धर्म और सत्य की भावना उत्पन्न होती है।
अक्षय पात्र, गंगा अवतरण, और परशुराम की कथाएँ सुनें।
लाभ: सामूहिक भक्ति से आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रसार होता है।
धार्मिक आयोजन में भाग लें।
लाभ: इस दिन शुरू किया गया व्यापार फलदायी होता है।
अक्षय तृतीया पर व्यापार का आरंभ करें।
लाभ: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः का जाप करें।
लाभ: पर्यावरण की रक्षा होती है और पुण्य फल मिलता है।
पेड़-पौधे लगाएँ।
लाभ: पर्यावरण स्वच्छ रहता है और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
लाभ: जल की कमी को दूर करने में योगदान मिलता है।
पानी बचाने और उसे पुनः उपयोग करने की योजना बनाएँ।
लाभ: परिवार और समाज में सकारात्मकता का संचार होता है।
घर या मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
लाभ: व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
यदि संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें।
लाभ: सामूहिक रूप से दान करने से समाज में एकता और सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।
अन्न, वस्त्र और धन का सामूहिक रूप से दान करें।
सुख-समृद्धि: इस दिन पूजा और दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पापों से मुक्ति: अक्षय तृतीया के दिन धार्मिक कार्य करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
चिरस्थायी धन और संपदा: इस दिन खरीदी गई वस्तुएं और दान किए गए कार्य का फल चिरस्थायी होता है।
धार्मिक चेतना: यह दिन आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाने के लिए उपयुक्त है।
अक्षय तृतीया हमें यह सिखाती है कि धर्म और कर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त की जा सकती है। इस दिन किए गए कार्य न केवल हमें वर्तमान जीवन में लाभ देते हैं, बल्कि हमारे भविष्य को भी उज्ज्वल बनाते हैं।
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